सृस्टि रचना P 1-2 प्रमाणिक कबीरसागर सतग्रन्थ साहब से #kabir #kabirsagar #muktibodh #rampalji

10 months ago
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सृस्टि रचना - पूर्ण ब्रह्म परमात्मा सतगुरु रामपालजी भगवान के मुख कमल से उन्ही के द्वारा की गई सृस्टि रचना (सत्यनारायण कथा)
" आपै महिमा आपही गायी "
सतगुरु रामपालजी भगवान कहते है की जिसको सृस्टि रचना समझ आ गई ( तत्व ज्ञान के निष्कर्ष से ) उसको सरे सत्संगो की मूल कुंजी समझ आगयी, ये सृस्टि रचन ही मूल कुंजी है। इसे समझाए बिना अन्य सत्संग समझ नाही आ सकते।
ना आश्रम ना 2️⃣1️⃣0️⃣0️⃣0️⃣ हजार ❌❌ अब घर पर ही अखंड पाठ होगा, अखंड पाठ करने की विधि के लिए पूरा वीडियो देखने के लिए नीचे Link पर क्लिक करे 👇 #pawandasislive
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भक्ति बचाने के लिए पढ़िए पुस्तक "शंका सामाधान" अन्येथा खून के आँसू रोवोगे

मुक्ति बोध ज्ञान यज्ञ परमात्मा की महिमा उन्हीं के आशीर्वाद से #paathprakash #garibdaas
सतलोक जाने की कुंजी – #) ज्ञान को आधार #) घर को आश्रम #) गुरु को भगवान
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बंदी छोड़ सतगुरु रामपालजी भगवान के चरणो में दास भाग्येश और समस्त सत्सेवकों का कोटि कोटि अस्टांग दंडवत परनाम। #bhagyesh #daasbhagyesh #muktibodh #gyanyagya #bhakti
सभी भाई बहनों सत्सेवकों को दास का प्यार भरा सत साहेब। #dharamyagya #yagya

पाठ करने के पूर्ण अधिकारी सतगुरु रामपाल जी के मुख कमल से उच्चारित ५० घंटे की सतग्रंथ साहिब (गरीबदास जी की) वाणियों का पाठ, #garibdasjiwani #wanipath

परमात्मा सतगुरु रामपालजी भगवान कहते हैं #pawan_das_video #Pawandasislive
साध संगति हरि भगती बिन, कोई ना उतारे पार। निर्मल आदि अनादि है, गंदा है सब संसार..
बंदी छोड़ पूर्ण ब्रह्म परमात्मा सतगुरु रामपालजी भगवान की जय

*************** मर्यादाएं जो भगत के लिए अति आवश्यक है****************
1) सुबह उठकर मंगलाचरण करना
2) मंगलाचरण के साथ प्रार्थना
3) प्रार्थना के बाद चरणामृत पीना (घुटने के बाल बैठ कर अति आधीनी भाव से)
4) अस्त अंग से दंडवत प्रणाम करना
5) दंडवत प्रणाम करते समय जो भी मंत्र मिले उसका जप करना
6) तीन समय की आरती मन वचन कर्म से करना (त्रिसंध्या वंदन )
7) रोज भोग लगा सको तो अवश्य लगाना भोग की छोटी आरती से (जैसा जल राम फल राम मेवा राम आदी जो भी है)
8) सप्ताह में एक बार बड़ी आरती के साथ भोग लगाना
9) महिने में एक बार साध संगति में आना (भगत मिलन समारोह (जिसमे सिर्फ परमात्मा की चर्चा की जाए))
10) परमात्मा की महिमात्मक शब्द का पठन करना (ज्ञान यज्ञ)
11) परमात्मा के प्यारे हंसो के १६ गुणों को धारण करना

शील (कामवासना का शांत होना) पर नारी में बहन बेटी का भाव रखना
संतोष (जो मिले उसे मैहो गुजारा करना दया मालिक की जैसे रखोगे वेसे राह लूंगा)
विवेक (परमात्मा के दिए ज्ञान को धारण करना आधार बनाना)
दया (अहिंसा परमो धर्मः) मनसा वाचा कर्मणा किसी का बुरा नहीं सोचना
धीरज (धैर्य)
ज्ञान (सत्संग के सार को समझकर अपने जीवन मै उतारना )
धर्म (आत्मा के कल्याण के लिए ही कर्म करना)
सत्य, (सत वादी होना )
प्रेम (परमात्मा और जीवो से),
निर्दोष (मन किसी प्रकार का हित करने की न सोचे),
निश्कर्म (निष्काम भाव से परमात्मा की भक्ति केवल एक उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति/सतलोक प्राप्ति के लिए कर्म),
त्याग (कल के लोक के सारे सुख का त्याग),
वैराग्य - अर्थात पांवः पच्चीस तीन गुणों से ( उनके सुखो से ) मन को हटाना
शांति (काल लोक में शांति नहीं अर्थ किसी के उकासने से आप नहीं खोना, शांत मन से उत्तर देना, यदि नहीं मन रहे हैं तो परमात्मा के भरोसे छोड़ देना),
निजधर्म (गुरु मर्यादा का पालन करना आत्मा के कल्याण के लिए ही कर्म करना) ,
मैत्रे भाव (दुश्मन मीत सबही से बोलू, घर घर में में काठी डोलू तुम करियो अवन की ख्यास)
सहज होना (सहज मै ही परमात्मा की चर्चा करना सहज ही मंत्रो का जप और महिमा )
भगतपन झलकना (सीधे साढ़े कपडे पहनें श्रृंगार व चटक मटक वाली चीज़ो से दूर रहना )
……. Continue

*****बन्दी छोड़ सतगुरु रामपालजी भगवान की जय *****
पालन ​​करना न करना आपके बुद्धि विवेक और संस्कारो के ऊपर निर्भर करता है, जिसको सतलोक जाना है वो तो पालन कर ही लेगा।

सत्य ज्ञान के लिए पढ़िए पुस्तक "ज्ञान गंगा"
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संत रामपाल जी के भक्तो के लिए पुस्तक "शंका सामाधान" अन्येथा खून के आँसू रोवोगेShanka Samadhan book (Maryada ki Book)
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WP 7440914911
Satsewak HelpLine – 8690082023 , 8690952023

$$ जोग जीत कहो, सहज दास कहो, एक ही है परमात्मा सत्पुरुष कबीर अर्थात रामपालजी ही दोनों के रूप मैं आये थे
ये काल को धोखा हो जाता है की परमात्मा नहीं बल्कि परमात्मा का पुत्र इसका भाई आया है।
( इसी प्रकार ज्ञानी, विवेक आदि कोई भी १६ पुत्रो मै से किसी एक को समझ कर काल परमात्मा कबीर जी पर ही अटैक करता है तत्त्व ज्ञान न होने के कारण ) $$

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