शांति क्या है

2 years ago

ये कहानी है शांति के बारे में । आप लोगो में से कई सारे लोगो को शांति का सही मतलब नहीं पता होगा । में उम्मीद करता हु की आप को इस कहानी पढ़ने के बाद शांति का असली मतलब पता चल जायेगा ।

पुराने समय की बात है । किसी राज्य में एक राजा था जिसे पेटिंग्स से बहुत लगाव था । एक दिन राजा ने घोषणा की कि जो कोई भी मुझे एक ऐसी पेंटिंग बना कर देगा जो की शांति को दर्शाती हो , तो में उसे मुंह माँगा इनाम दूंगा ।

जिस दिन फैसला होने वाला था उस दिन एक से बढ़कर एक चित्रकार इनाम जीतने की लालच में अपनी पेंटिंग्स लेकर राजा के महल समयसर पहुंच गए । राजा ने एक – एक करके सभी की पेंटिंग्स देखीं । सभी पेंटिंग्स में से राजा ने सिर्फ दो पेंटिंग्स अलग रखवा दी । राजा को वो दोनों पेंटिंग्स बहुत पसंद आयी थी । इन दोनों में से किसी एक को इनाम मिलने वाल था ।

पहली पेंटिंग एक सुन्दर शांत झील की थी । उस झील का पानी बहुत साफ़ था । उस पेंटिंग में ऊपर नीला आसमान था और आसमान में रुई के गोलों के सामान सफ़ेद बादल थे । ये पेंटिंग में शांति साफ़ नजर आ रही थी । जो कोई भी इसे देखता उसे ऐसा ही लगता था की शांति को दर्शाने के लिए ये बहुत अच्छी पेंटिंग है ।

दूसरी जो पेंटिंग थी उसमे पहाड़ थे , पहाड़ बिलकुल रूखे थे , वीरान थे । इन पहाड़ो के ऊपर बादल थे और उस बदल में बिजलियाँ चमक रही थीं । तेज हवा से पेड़ हिल रहे थे । पहाड़ी की दूसरी ओर एक झरना था ओर झरने ने रौद्र रूप धारण कर रखा था ।

जो कोई भी इस दूसरी पेंटिंग को देखता वो यही सोचता था की इस पेंटिंग का शांति से क्या लेना देना है ! इसमें तो केवल अशांति ही दिखाई दे रही है । सभी को यही लगता था की पहली पेंटिंग बनाने वाले चित्रकार को ही इनाम मिलेगा ।

अब बारी आ गयी थी राजा की ये बताने की कि इनाम वो किसे देने वाले है । राजा ने ये ऐलान किया कि दूसरी पेंटिंग बनाने वाले चित्रकार कि पेंटिंग उन्हें ज्यादा अच्छी लगी है और वो उसे मुंह माँगा इनाम देंगे ।

राजा कि बात सुनकर सभी आश्चर्यचकित हो जाते है । राजा का फैसला सुनने के बाद अब पहले चित्रकार से रहा नहीं गया और उसने राजा से पूछ ही लिया कि आखिर आपको उस पेटिंग में ऐसा क्या दिखा कि आपने उसे इनाम देने का फैसला ले लिया , जबकि हर कोई यही कह रहा है कि मेरी पेंटिंग ही शांति को दर्शाने के लिए अच्छी है ।

राजा ने पहले चित्रकार से कहा कि तुम आओ मेरे साथ में तुम्हे बताता हु । राजा उस चित्रकार को दूसरी पेंटिंग कि ओर ले जाते है और कहते है , झरने के दायी ओर हवा से एक तरह झुके हुए इस वृक्ष को देखो , वृक्ष कि डाली पर बने हुए इस घोसले को ध्यान से देखो , देखो कैसे एक चिड़िया कोमलता से , शांत भाव से अपने बच्चों को भोजन करा रही है ।

राजा ने वहा पर हाजिर सभी लोगो को समझाया कि शांति का मतलब ये नही है कि आप ऐसे स्थिति में हों जहाँ कोई शोर नहीं हो , कोई समस्या नहीं हो , सब कुछ अच्छा ही हो । शांति का मतलब तो ये होता है कि , आप हर तरह की अव्यवस्था , अशांति के बिच भी शांत रह पाओ और अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्दित कर पाओ ।

सभी लोग अब अच्छे से समज गए कि राजा ने दूसरी पेंटिंग को क्यों चुना ।

हम सभी को अपनी लाइफ में शांति चाहिए । अक्सर हम शांति के मतलब को गलत समज लेते है और उसे बहारी दुनिया में ढूढ़ने लगते है , जबकि हमें शांति पूरी तरह से हमारे अन्दर ही मिलती है ।

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