Pravachan Shree Vishwamitra ji Maharaj

1 year ago
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परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((990))

*श्री भक्ति प्रकाश भाग ५०७(507)*
*नेपाल श्री राम शरणम् के उद्घाटन दिवस के शुभ अवसर पर।*
*हिंदू संस्कृति*

अतिशय धन्यवाद । कोटिशय प्रणाम है मेरी माताओं सज्जनों आप सब के श्री चरणों में। असंख्य बार बधाई उससे और अधिक बार बधाई आप सबको, आज के इस मांगलिक दिवस पर । बहुत बड़ा दिन है, बहुत बड़ा उत्सव है । ऐसा उत्सव और स्थानों पर भी मनाया जाता होगा अपने अपने ढंग से, पर कल से बहुत सी महिलाओं के हाथ मेहंदी से रंगे हुए देख रहा हूं । पूछा देवी क्या बात है तो उन्होंने कहा कल की तैयारी है । उत्सव मनाने का ढंग । हिंदू रीति ऐसी ही होती होगी । आप तो पक्के ही हिंदू हो । आज साधक जनों बधाई देने के बाद, यह श्री राम शरणम् जो बना है किस लिए बना है, परमेश्वर ने क्यों बनाया है, बनवाया है,
जो मेरी तुच्छ बुद्धि समझ सकती है, वही 2-4 शब्दों में आपकी सेवा में अर्ज करूंगा ।
कभी भूलिएगा नहीं |

हमें किसी की नकल नहीं करनी । विदेश में क्या होता है हमें कोई सरोकार नहीं । हम हिंदू राष्ट्र हैं, अपनी संस्कृति को कभी नहीं भूलिएगा । वह स्थान जहां आपको यह याद दिलाया जाए की हिंदू संस्कृति भूलिएगा नहीं। ऐसा नहीं की यहां हो तो हिंदू हो, अमेरिका गए तो अमेरिकन । ऐसा ना हो ।
वह स्थान जो आपको याद दिलाएं, आप हिंदू हो अपनी । संस्कृति को कभी भूलिएगा नहीं, कभी छोड़िएगा नहीं ।
पूज्य पाद स्वामी जी महाराज किसी को अपनी ऑटोग्राफ देते नहीं थे । कभी प्रीति के कारण यदि किसी को देते भी थे, तो लिखते थे अपनी संस्कृति से गाढ़ प्रीति होनी चाहिए, नीचे सत्यानंद । हमारी संस्कृति हिंदू संस्कृति, सनातन संस्कृति, क्या संस्कृति है ? थोड़ी इसी बात पर चर्चा करते हैं ।

हम जितने भी यहां बैठे हुए हैं हिंदू साधक जनों, जहां कहीं भी है, यदि वह हिंदू रहा है तो स्पष्ट है कि वह परमात्मा को मानने वाला है । यहीं से शुरू करते हैं । हमारे अंदर नास्तिकता नहीं है । हम सब परमात्मा को मानने वाले हैं, तभी हिंदू हैं । परमात्मा कौन है ? यहां से बात शुरू करते हैं । संसार का सबसे बड़ा जो है, वह परमात्मा । आप उसे कुछ भी कहिए । जो सबसे बड़ा है, वह परमात्मा । क्योंकि बेटा सबसे बड़ा है तो फिर एक ही होगा, अनेक नहीं हो सकते ।

इसलिए परमात्मा एक है, उसके नाम अनेक हो सकते हैं, उसके रूप अनेक हो सकते हैं। मालिक है जो मर्जी, जो मर्जी अपने आप को कहलवाए । लेकिन वह एक है । इन तथ्यों को भूलना । नहीं स्वामी जी महाराज बड़े सरल शब्दों में देवियो सज्जनो समझाते हैं इन बातों को, परमात्मा एक है । स्वामी जी महाराज कहते हैं उस परमब्रह्म परमात्मा का supreme being का असली नाम, निजी नाम “ओम” है । उसी का जिसका निजी नाम “ओम” है उसी का घर का नाम प्यारा नाम “राम” है, निक नाम राम है । स्वामी जी महाराज के अपने समझाने के ढंग देखिएगा ।

बिट्टू, बंटू, काका, गुड्डी, बबली यह घर के नाम हैं । इन नामों से वही पुकार सकता है, जिसके साथ आप का संबंध बहुत घनिष्ट है। पति पुकार सकता है, पत्नी, माता पिता, पुकार सकते हैं । हर कोई नहीं । तो स्वामी जी महाराज जिस वक्त दीक्षा के वक्त हमें connection देते हैं परमात्मा के साथ, ऐसी कृपा करते हैं कि हमारा संबंध इतना घनिष्ठ स्थापित कर देते हैं, की हमें परमात्मा के निक नाम से पुकारने का अधिकार मिलता है ।

देवियो सज्जनो भक्ति प्रकाश में स्वामी जी महाराज ने भगवद भक्ति के अंतर्गत एक कथा लिखी है ।
वर्णन आता है बहुत से लोग यात्रा के लिए आ रहे थे । उनमें एक दो नेपाली भी थे । किसी अच्छे साधक ने उन नेपाली सज्जन से कहा -बंधु आप नेपाल से हो ? सारे के सारे नेपाल निवासी भगवद भक्ति के अधिकारी हैं । यह बात आपके लिए स्वामी जी महाराज ने कही हुई है । सब के सब भगवद भक्ति के अधिकारी हैं ।
मैं तो नहीं, भक्ति की दीक्षा देता हूं, भक्ति का उपदेश देता हूं, नेपाल लौट कर सबको इस मार्ग पर चलाना । क्यों है भक्ति के अधिकारी ?

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