ब्रिटिश राज का सबसे वफ़ादार पिट्ठू: कांग्रेस की असली कहानी

20 days ago

1857 की बगावत के बाद अंग्रेज़ों ने दो चालें चलीं: एक तरफ ज़बरदस्त दमन, और दूसरी तरफ ऐसी संस्थाएँ खड़ी करना जो “सेफ़्टी वाल्व” बनकर जनता की देशभक्ति को काबू में रखें।

1885 में ए.ओ. ह्यूम की अगुवाई में कांग्रेस बनाई गई। इसका मक़सद था लोगों को थोड़ा-सा राजनीतिक हिस्सा देना, लेकिन साथ ही अंग्रेज़ों के “सभ्य बनाने वाले मिशन” को और मजबूत करना।

शुरुआती कांग्रेस नेता अपनी माँगें हमेशा उसी दायरे में रखते थे जो अंग्रेज़ मान सकते थे। ये बातें सिर्फ़ छोटे सुधारों तक सीमित थीं, असली आज़ादी की ओर नहीं।

1928 में लाला लाजपत राय की मौत और उसके बाद हुए आंदोलनों से आंदोलन का एक हिस्सा ज़रूर उग्र हुआ, लेकिन कांग्रेस ज्यादातर अपनी शांतिप्रिय और क़ानूनी राह पर ही टिकी रही।

1947 में सत्ता मिलने के बाद भी पार्टी ने अंग्रेज़ों की बनाई व्यवस्था को ही आगे बढ़ाया—केंद्र पर ज़ोर, अंग्रेज़ियत से भरी राजनीति और अफ़सरशाही की ताक़त उसी तरह कायम रही।

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