दफ़न सच: गांधीवाद की चादर तले 1948 का चितपावन ब्राह्मण नरसंहार

21 days ago
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गांधी की हत्या के बाद महाराष्ट्र में चितपावन ब्राह्मणों पर संगठित हिंसा हुई। हज़ारों लोग मारे गए, महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ और घर-दुकानें जला दी गईं।

यह हिंसा कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा भड़काई और नेतृत्व की गई थी। इसे “बदले” का नाम दिया गया, जबकि यह नरसंहार था।

वीर सावरकर के घर पर हमला हुआ, उनके भाई को पत्थरों से मारकर हत्या कर दी गई। कई ब्राह्मण परिवार पलायन कर गए या गरीबी में चले गए।

पुलिस रिकॉर्ड आज तक सील हैं, मीडिया ने इस हिंसा को लगभग नज़रअंदाज़ किया, और किसी को भी सज़ा नहीं मिली।

1948 का यह नरसंहार भारत के इतिहास की उन त्रासदियों में है, जिनकी सच्चाई आज तक दबाई गई और जिनसे देश अब तक मुँह मोड़े हुए है।

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