भारत: उपनिवेशवाद से वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ता कदम

21 days ago
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उपनिवेशवाद और आक्रमणों ने भारत की आर्थिक रीढ़ तोड़ी, लेकिन उसकी सभ्यतागत आत्मा और मूल मूल्य कभी नष्ट नहीं हुए।

आज भारत अपनी युवा आबादी, तकनीकी नवाचार और लोकतांत्रिक व्यवस्था के सहारे फिर से वैश्विक मंच पर उभर रहा है।

पश्चिमी शक्तियों के कमजोर पड़ने और आंतरिक संकटों के कारण दुनिया का शक्ति संतुलन तेज़ी से पूर्व की ओर खिसक रहा है।

भारत को केवल आर्थिक महाशक्ति नहीं बनना, बल्कि नैतिक मार्गदर्शक और सभ्यतागत नेतृत्व की भूमिका भी निभानी है।

अगर भारत सही दिशा और मूल्यों पर डटा रहा, तो 21वीं सदी न सिर्फ़ भारत की हो सकती है, बल्कि पूरी मानवता के लिए भारत-नेतृत्व की सदी बन सकती है।

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