Tumhi Meri Manzil (Dedicated to my Mother) तुम ही मेरे मंदिर Umakant Mishra

23 days ago
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तुम ही मेरे मंदिर, तुम ही मेरी पूजा, तुम ही देवता हो
कोई मेरी आँखों से देखे तो समझे के तुम मेरे क्या हो

जिधर देखती हूँ उधर तुम ही तुम हो
न जाने मगर किन ख़यालों में गुम हो
मुझे देखकर तुम ज़रा मुस्कुरा दो
नहीं तो मैं समझुंगी मुझसे खफा हो

तुम ही मेरे माथे की बिंदीयां की झिलमिल
तुम ही मेरे हाथों के गजरों की मंज़िल
मैं हूँ एक छोटीसी माटी की गुड़ियाँ
तुम ही प्राण मेरे, तुम ही आत्मा हो

बहोत रात बीती, चलो मैं सुला दूँ
पवन छेड़े सरगम, मैं लोरी सुना दूँ
तुम्हे देखकर ये ख़याल आ रहा है
के जैसे फरिश्ता कोई सो रहा हो

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