गुरुजी को दंडवत प्रणाम करना चाहिए।

16 days ago
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कबीर,
गुरु को कीजे दण्डवत, कोटि कोटि परनाम।
कीट न जानै भृंग को, यों गुरुकरि आप समान।।

कबीर साहेब जी कहते हैं कि गुरुजी को दंडवत प्रणाम करना चाहिए तथा करोड़ - करोड़ बार प्रणाम करना चाहिए।

जैसे भृंग कीट किसी अन्य कीट को उठा कर लाता है, उसको अपनी आवाज सुना सुनाकर अपने जैसे रंग व पंखों वाला बना लेता है।

ऐसे ही गुरुजी अपने शिष्य को बार-बार सत्संग सुना कर अपने जैसे गुणों वाला बना लेते हैं।

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