Ye Raat Ye Chandni- ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ- Old Effect-by Hemant Kumar

26 days ago
3

ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ, सुन जा दिल की दास्तां

पेड़ों की शाखों पे सोयी सोयी चाँदनी
तेरे ख़यालों में खोयी खोयी चाँदनी
और थोड़ी देर में थक के लौट जाएगी
रात ये बहार की फिर कभी ना आएगी
दो एक पल और है ये समा

लहरों के होठों पे धीमा धीमा राग है
भीगी हवाओं में ठंडी ठंडी आग है
इस हसीन आग में तू भी जल के देख ले
ज़िन्दगी के गीत की धुन बदल के देख ले
खुलने दे अब धड़कनों की ज़बान

जाती बहारें हैं, उठती जवानियाँ
तारों के छाँव में कह ले कहानियाँ
एक बार चल दिए गर तुझे पुकार के
लौटकर ना आयेंगे काफिले बहार के
आ जा अभी ज़िन्दगी है जवां

Loading comments...