DAY 38 – Arjun’s Emotional Dilemma | Shlok 1.37 Explained | Mission Bhagavad Gita

1 month ago
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DAY 38 – Arjun’s Emotional Dilemma | Shlok 1.37 Explained | Mission Bhagavad Gita
Hare Krishna dosto!
Mission Bhagavad Gita – श्लोक दिवस 38
अध्याय 1, श्लोक 37
"तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान्स्वबान्धवान्।
स्वजनं हि कथं हत्वा सुखिनः स्याम माधव।।"

भावार्थ:
"हे माधव! ये जो युद्ध में सामने खड़े हैं — ये सिर्फ शत्रु नहीं, मेरे अपने भी हैं।
चाचा, भाई, गुरु… अगर मैं इनका वध करता हूँ,
तो क्या सच में मैं सुखी हो पाऊँगा?"

🙏 अर्जुन मोह और ममता से घिर गए हैं।
वो धर्म के मार्ग पर चलने से पीछे हटने लगे हैं।
लेकिन गीता सिखाती है —
कर्तव्य का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन वही सही है।
जब विवेक पर ममता का पर्दा पड़ जाए,
तो जीवन के निर्णय भी भ्रमित हो जाते हैं।
और तभी हमें चाहिए – गीता का ज्ञान और आत्मबल।

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हर दिन गीता — हर दिन आत्मा का उत्थान।

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जय श्रीकृष्ण! जय धर्म की विजय!

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