Day 33 – Shlok 1.32 | क्या राज्य और सुख का कोई मोल है? | Mission Bhagavad Gita

1 month ago
10

Day 33 – Shlok 1.32 | क्या राज्य और सुख का कोई मोल है? | Mission Bhagavad Gita | Hare Krishna Bhakti
Shlok 1.32 – श्रीमद्भगवद्गीता: अध्याय 1, श्लोक 32
“न काङ्क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च।
किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा॥”

🙏 भावार्थ:
"हे कृष्ण!"
न तो मुझे विजय की चाह है, न ही राज्य और सुख की।
"हे गोविंद!"
जब अपने ही सगे-संबंधियों का रक्त बहाना हो,
तो ऐसे भोग-विलास और जीवन का कोई अर्थ नहीं।

🕉️ यह श्लोक अर्जुन के हृदय-विदारक मानसिक संघर्ष को दर्शाता है —
जहाँ धर्म और मोह के बीच वह बुरी तरह उलझ चुका है।

🪔 लेकिन श्रीकृष्ण का ज्ञान हमें यही सिखाता है —
कर्तव्य और सत्य के मार्ग पर अडिग रहना ही सच्चा धर्म है।

👉 अगर अर्जुन रुक जाते,
तो आज हम सब गीता का ये दिव्य ज्ञान नहीं पा पाते।

🌱 हर दिन गीता – हर दिन आत्मा का उत्थान।
देखते रहिए Mission Bhagavad Gita – Day 33

✨ This video is created originally by Hare Krishna Bhakti Vibes for spiritual knowledge purposes. Jai Shree Krishna.
💠 अगर इस वीडियो ने आपके जीवन में कुछ मूल्य जोड़ा हो, या आपको अच्छा लगा हो, तो हमारे साथ जुड़े रहिए। जय श्री कृष्णा।

#MissionBhagavadGita
#BhagavadGita
#Shlok32
#GitaDay33
#KrishnaArjunaSamvad
#HareKrishna
#GitaWisdom
#SpiritualJourney
#SanatanDharma
#JayShreeKrishna

Loading comments...