Mission Bhagavad Gita Day 24 | Shlok 1.23 | अर्जुन को क्रोध क्यों आया? – गीता का गहरा रहस्य

2 months ago
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Mission Bhagavad Gita Day 24 | Shlok 1.23 | अर्जुन को क्रोध क्यों आया? – गीता का गहरा रहस्य
Mission Bhagavad Gita – श्लोक दिवस 24
अध्याय 1, श्लोक 1.23
"योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः।
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः॥"

भावार्थ:
अर्जुन कहते हैं –
"हे कृष्ण! मैं देखना चाहता हूँ कि वे कौन लोग हैं,
जो इस युद्ध में धृतराष्ट्र के दुष्टबुद्धि पुत्र के पक्ष में
लड़ने के लिए यहाँ एकत्र हुए हैं।"

🧠 व्याख्या:
यह श्लोक अर्जुन के भीतर उभरते हुए क्रोध, द्वंद्व और पीड़ा को दर्शाता है।
👉 अर्जुन अपने ही अपनों को अधर्म के साथ खड़ा देखकर विचलित हो उठते हैं।
यह सिर्फ़ युद्ध नहीं, एक आत्म-संघर्ष की शुरुआत है।

🪔 शिक्षा:
जब अपने ही न्याय के खिलाफ खड़े हो जाएं,
तो निर्णय कठिन हो जाता है।
परंतु — सत्य का सामना किए बिना धर्म का रास्ता नहीं खुलता।

🌟 आज का संदेश:
सच को पहचानो, और फिर निर्णय लो – यही गीता का मार्ग है।
हर दिन गीता – हर दिन आत्मा का उत्थान।

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जय श्रीकृष्ण! जय धर्म की विजय!
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