Chapter 2 – अधूरी पेंसिल (Part 2): माँ की चिट्ठी | Emotional Real Life Story | प्रेराह"

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Chapter 2 – अधूरी पेंसिल (Part 2): माँ की चिट्ठी

स्कूल में अब मैं सबसे आगे था, लेकिन अब भी मेरे पास वही अधूरी पेंसिल थी।
हर दिन उसे छीलकर और छोटा कर देता… पर माँ की याद और हिम्मत उसी में बसती थी।

एक दिन मास्टर जी ने कहा, “अब तुम्हें शहर भेजना होगा आगे पढ़ाई के लिए।”
डर लगा… माँ अकेली कैसे रहेगी?

उसी शाम, माँ की चिट्ठी आई —
लिखा था:
"बेटा, अब मेरी अधूरी जिंदगी तेरे पूरे सपनों में पूरी होगी… जा, और खुद को साबित कर।"

उस दिन मैंने अपनी अधूरी पेंसिल को देखा…
और महसूस किया —
अब ये अधूरी नहीं रही… अब ये मेरी ताकत बन गई है।

मैं निकल पड़ा — उस पेंसिल के साथ…
जो अब मेरी कहानी लिख रही थी।

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