गुरुदेव अपने शिष्य की आपत्तियों से रक्षा भी करता है

2 months ago
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कबीर, गुरु कुम्हार शिष्य कुम्भ है, घड़ घड़ काढे खोट।
अन्दर हाथ सहारा देकर, ऊपर मारै चोट।।

कबीर साहेब जी कहते हैं कि जैसे कुम्हार कच्चे घड़े को तैयार करते समय एक हाथ घड़े के अन्दर डाल कर सहारा देता है।
तत्पश्चात् ऊपर से दूसरे हाथ से चोटें लगाता है। यदि अन्दर से हाथ का सहारा घड़े को न मिले तो ऊपर की चोट को कच्चा घड़ा सहन नहीं कर सकता वह नष्ट हो जाता है।
यदि थोड़ा सा भी टेढ़ापन घड़े में रह जाए तो उस की कीमत नहीं होती। फेंकना पड़ता है।
इसी प्रकार गुरुदेव अपने शिष्य की आपत्तियों से रक्षा भी करता है तथा मन को रोकता है तथा प्रवचनों की चोटें लगा कर सर्व त्रुटियों को निकालता है।

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