ज़ेनेर कार्ड क्या हैं?

1 month ago
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मनोविज्ञान के इतिहास में ज़ेनर कार्ड्स एक रोचक अध्याय हैं। ये 25 कार्डों का एक पैकेट है, जिसमें पाँच अलग-अलग प्रतीक (एक खाली वृत्त, प्लस चिह्न, तीन लहराती रेखाएँ, एक खाली वर्ग और एक खाली पाँच-नुकीला तारा) प्रत्येक पाँच बार आते हैं। इनका उपयोग अतिसंवेदी क्षमता (ESP) के प्रयोगों में किया जाता है।

1930 के दशक की शुरुआत में, मनोवैज्ञानिक कार्ल ज़ेनर ने इन्हें डिज़ाइन किया था, और परामनोवैज्ञानिक जे. बी. राइन ने इनका उपयोग अपने प्रयोगों में किया। प्रयोगों में, एक व्यक्ति कार्ड को देखे बिना उसके प्रतीक का अनुमान लगाता है। यदि केवल संयोग काम कर रहा हो, तो 25 कार्डों के परीक्षण में, 79.3% लोग 3 से 7 कार्ड सही बता पाएँगे, जबकि 10.9% लोग 8 या उससे ज़्यादा कार्ड सही बता पाएँगे। 20 या उससे ज़्यादा कार्ड सही बता पाने की संभावना बेहद कम है, लगभग 5.16 अरब में एक।

हालांकि, राइन के प्रयोगों पर बहुत सारे प्रश्न उठे हैं। कार्डों को खराब तरीके से फेंटने, कार्डों पर सूक्ष्म निशान होने, या प्रयोगकर्ता के चेहरे के भाव या साँस लेने के तरीके से जानकारी मिल जाने जैसी कमियों के कारण, परिणामों की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। एक बार जब राइन ने अपनी विधियों में सुधार किया, तो उन्हें कोई भी उच्च स्कोर करने वाला व्यक्ति नहीं मिला। कई वैज्ञानिकों ने राइन के प्रयोगों को "रोगी विज्ञान" का उदाहरण बताया है, जहाँ वैज्ञानिक अपने ही द्वारा बनाई गई धारणाओं में फँस जाते हैं।

जेम्स रैंडी जैसे जादूगरों ने भी ज़ेनर कार्ड प्रयोगों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। उनके एक टेलीविज़न कार्यक्रम में, एक कथित मनोविज्ञानिक 250 कार्डों के परीक्षण में केवल 50 कार्ड ही सही बता पाया, जो कि केवल संयोग से होने वाली सफलता के बराबर था। आधुनिक प्रयोगों ने भी यह दिखाया है कि जब दृश्य संपर्क या अन्य संकेतों को रोका जाता है, तो कथित ESP की सफलता दर संयोग से बेहतर नहीं होती।

इस सब से हमें क्या सीख मिलती है? यह है कि वैज्ञानिक अनुसंधान में सावधानी और निष्पक्षता अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसी भी दावा को, चाहे वह कितना ही आकर्षक क्यों न हो, कड़ी जाँच और वैज्ञानिक प्रमाणों से परखना चाहिए। अतिसंवेदी क्षमताओं के दावों को साबित करने के लिए अब तक कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं। विज्ञान तथ्यों और प्रमाणों पर आधारित होता है, कल्पनाओं पर नहीं।

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