आत्म प्राण उद्धार

2 months ago
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आत्म प्राण उद्धार

आत्म प्राण उद्धार ही, ऐसा धर्म नहीं और।
कोटि अश्वमेघ यज्ञ, सकल समाना भौर।।

भावार्थ - यदि एक आत्मा को सतभक्ति मार्ग पर लगाकर उसका आत्म कल्याण करवा दिया जाए तो करोड़ अवश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है और उसके बराबर कोई भी धर्म नहीं है।

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