विरह रुपी सर्प शरीर में वास कर जाता है!

2 months ago
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बिरह भुवंगम तन बसै, मन्त्र न लागै कोइ।
राम बियोगो न जिवे, जिवै तो बौरा होइ।।

भाव-
कबीर साहेब जी कहते हैं कि जब विरह रुपी सर्प (भुवंगम) शरीर में वास कर जाता है, तो उस पर कोई भी मंत्र प्रभाव नहीं डाल सकता।

जो व्यक्ति राम (ईश्वर) के वियोग में होता है, वह जीवित नहीं रह सकता और यदि किसी कारण से जीवित रह भी जाए, तो वह पागल (बौरा) हो जाता है।

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