परमात्मा के चोर

3 months ago
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परमात्मा के चोर

कबीर, जो धन पाय न धर्म करत, नाही सद् व्यौहार।
सो प्रभु के चोर है, फिरते मारो मार।।

भावार्थ :- जो धन परमात्मा ने मानव को दिया है,
उसमें से जो दान नहीं करते और न अच्छा आचरण करते हैं, वे परमात्मा के चोर हैं जो माया जोड़ने की धुन में मारे-मारे फिरते हैं।

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