मनुष्य की उल्टी खोपड़ी

3 months ago
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कबीर औंधी खोपड़ी, कबहूं धायै नाहिं। तीन लोक की संपदा, कब आवै घर मांहि।।

कबीर साहिब जी कहते है मनुष्य की यह उल्टी खोपड़ी कभी धन से तृप्त नहीं होती बल्कि जिसके पास जितना अधिक धन होता है उसकी प्यास उतनी ही बढती जाती है। लोभी व्यक्ति के मन में सदैव यही भावना होती है कि कब तीनों लोको की संपत्ति हमारे घर आयेगी।
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