दूध और खून

3 months ago
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कबीर,
रक्त छोड़ पय हो गहै, ज्यौरे गऊ का बच्छ।
औगुण छांडै गुण गहै, ऐसा साधु का लच्छ।।

कबीर साहिब जी कहते हैं गाय के थन में दूध और खून दोनों होता है किन्तु बछड़ा जब मुंह लगाता है तो वह खून नहीं पीता बल्कि सिर्फ दूध ही ग्रहण करता है ठीक ऐसे ही लक्षण से साधुजन परिपूर्ण होते हैं। वे दूसरों के अवगुणों को ग्रहण नहीं करते उनके सद्‌गुणों को ही धारण करते है।

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