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पौलो कोएल्हो: जीवन और कृति
पाउलो कोएल्हो: एक सफ़र आत्म-खोज का
पाउलो कोएल्हो, ब्राज़ील के प्रसिद्ध लेखक और गीतकार, जिनका जन्म 24 अगस्त 1947 को रियो दि जनेरियो में हुआ था, ने अपने जीवन में असाधारण उतार-चढ़ाव देखे हैं। ये उतार-चढ़ाव ही उनके साहित्यिक कार्यों की प्रेरणा बने हैं, जिनकी दुनिया भर में 320 मिलियन से ज़्यादा प्रतियाँ बिक चुकी हैं। उनके 1988 के उपन्यास "द अल्केमिस्ट" ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर बनकर एक नया मुकाम स्थापित किया।
अपने शुरुआती जीवन में, कोएल्हो ने जेसुइट स्कूल में शिक्षा प्राप्त की, परन्तु 17 वर्ष की आयु में उन्हें उनके माता-पिता ने मानसिक अस्पताल में भर्ती करा दिया। तीन बार भागने के बाद 20 वर्ष की आयु में उन्हें रिहा किया गया। इस अनुभव ने उनके व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित किया। अपने माता-पिता की इच्छा के अनुसार, उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरू की, परंतु जल्द ही उसे छोड़कर एक 'हिप्पी' जीवन जीने लगे, दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका, मैक्सिको और यूरोप की यात्रा करते हुए। 1960 के दशक में उन्होंने नशीली दवाओं का भी प्रयोग किया।
ब्राज़ील लौटने पर, उन्होंने गीतकार के रूप में काम किया और एलिस रेजिना, रीटा ली और ब्राज़ीलियाई आइकन राउल सेक्सास जैसे कलाकारों के लिए गीत लिखे। राउल के साथ उनके सहयोग से जादू और गुप्त विद्या से जुड़े विषयों पर गीतों की रचना हुई। 1974 में, सत्तारूढ़ सैन्य सरकार ने उन्हें "विध्वंसक" गतिविधियों के लिए गिरफ़्तार कर लिया और प्रताड़ित किया।
1986 में, उन्होंने स्पेन में सेंटियागो डे कॉम्पोस्टेला का 500 किलोमीटर से ज़्यादा लंबा रास्ता तय किया। इस यात्रा के दौरान उन्हें आध्यात्मिक जागरण का अनुभव हुआ, जिसे उन्होंने अपनी आत्मकथा "द पिलग्रिमेज" में वर्णित किया। यहीं से उनके लेखन के प्रति समर्पण की शुरुआत हुई।
1982 में प्रकाशित उनकी पहली पुस्तक, "हेल आर्काइव्स" को खास सफलता नहीं मिली। "द अल्केमिस्ट" की प्रकाशन यात्रा भी आसान नहीं थी। शुरुआत में केवल 900 प्रतियाँ छापी गईं, परन्तु बाद में इसकी लोकप्रियता में तेज़ी से वृद्धि हुई। "द अल्केमिस्ट" की सफलता ने उन्हें पूर्णकालिक लेखन के लिए प्रेरित किया।
उनके उपन्यासों में "द पिलग्रिमेज", "हिप्पी", "द वाल्कीरीज़" और "एलेफ़" आत्मकथात्मक हैं, जबकि अन्य मुख्यतः काल्पनिक। उनकी रचनाएँ 170 से ज़्यादा देशों में 83 भाषाओं में प्रकाशित हुई हैं।
हालाँकि, उनके लेखन को लेकर विवाद भी रहे हैं। कई आलोचकों ने उनके बाद के कार्यों की सतहीपन पर टिप्पणी की है। कोएल्हो की रचनाओं का प्रभावशाली और विविध पाठक वर्ग है, परंतु उनका साहित्यिक योगदान जटिल और बहुआयामी है, जिसे विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा और समझा जा सकता है।
कोएल्हो का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है जो दिखाता है कि कैसे आत्म-खोज और दृढ़ संकल्प से किसी भी चुनौती पर विजय प्राप्त की जा सकती है। उनका जीवन दर्शन हमें यह सिखाता है कि अपने सपनों का पीछा करना कितना महत्वपूर्ण है, चाहे रास्ते कितने ही कठिन क्यों न हों। उनका जीवन और कार्य यह साबित करते हैं कि दृढ़ता और आत्मविश्वास से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
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