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व्लाद द इम्पेलर: इतिहास और मिथक
व्लाद द इम्पेलर: एक क्रूर शासक की कहानी
कल्पना कीजिए, एक ऐसा शासक जिसका नाम ही डर पैदा करता हो। व्लाद तृतीय, जिसे व्लाद द इम्पेलर या व्लाद ड्रैकुला के नाम से भी जाना जाता है, वैसा ही एक शासक था। वाल्लेचिया का शासक, वो एक ऐसा व्यक्ति था जिसने अपने क्रूर शासन से इतिहास के पन्नों में अपनी जगह बनाई। लेकिन क्या उसकी क्रूरता सिर्फ पागलपन थी, या उसके पीछे कोई और मकसद था? आइए, उसकी जीवनगाथा के रोमांचक मोड़ों को जानते हैं।
व्लाद, व्लाद ड्रेकुल का दूसरा पुत्र था, जिसने १४३६ में वाल्लेचिया पर राज किया था। अपने पिता की वफादारी सुनिश्चित करने के लिए, व्लाद और उसका छोटा भाई रदू, १४४२ में ओटोमन साम्राज्य में बंधक बना दिए गए थे। १४४७ में हंगरी के रीजेंट गवर्नर जॉन हुन्यादी के वाल्लेचिया पर आक्रमण के बाद, व्लाद के बड़े भाई मिर्सेआ और उनके पिता की हत्या कर दी गई। हुन्यादी ने व्लाद के दूसरे चचेरे भाई, व्लादिस्लाव द्वितीय को नया शासक बनाया।
१४५६ में, हंगरी के समर्थन से व्लाद ने वाल्लेचिया पर फिर से आक्रमण किया और व्लादिस्लाव द्वितीय को मार डाला। अपनी सत्ता मजबूत करने के लिए उसने वाल्लेचिया के कई बड़े अधिकारियों को मार डाला। वह ट्रांसिल्वेनियन सैक्सन्स से भी भिड़ गया, जिन्होंने उसके विरोधियों का समर्थन किया था। अपने दुश्मनों को दबाने के लिए व्लाद ने सैक्सन गांवों को लूटा और कब्जे में लिए लोगों को वाल्लेचिया ले जाकर उन्हें सूली पर चढ़वा दिया, यही कारण है कि उसे "इम्पेलर" कहा जाने लगा।
१४६२ में, उसने ओटोमन क्षेत्र पर हमला किया और हजारों तुर्कों और मुस्लिम बुल्गारियाई लोगों का नरसंहार किया। इसके जवाब में, सुल्तान मेहमेद द्वितीय ने व्लाद को हटाने के लिए एक अभियान चलाया। व्लाद ने १६-१७ जून १४६२ की रात को सुल्तान पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा। व्लाद ट्रांसिल्वेनिया भाग गया, जहाँ उसे राजा मैथियास कॉर्विनस ने कैद कर लिया।
१४६३ से १४७५ तक व्लाद कैद में रहा। इस दौरान उसकी क्रूरता के किस्से जर्मनी और इटली में फैल गए। १४७५ में, स्टीफन तृतीय ऑफ मोल्दाविआ के अनुरोध पर उसे रिहा कर दिया गया। वह १४७६ में ओटोमनों के खिलाफ युद्ध में शामिल हुआ और फिर से वाल्लेचिया पर राज करने की कोशिश की, लेकिन अंत में युद्ध में मारा गया।
व्लाद की क्रूरता के बारे में किताबें जर्मन भाषी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में से थीं। रूस में, लोकप्रिय कहानियों ने सुझाव दिया कि व्लाद केवल क्रूर दंड लगाकर ही अपनी केंद्रीय सरकार को मजबूत करने में सक्षम था। उनकी उपाधि से ब्रैम स्टोकर के साहित्यिक पिशाच, काउंट ड्रैकुला का नाम प्रेरित हुआ।
व्लाद का नाम "ड्रैकुला" उसके पिता, व्लाद ड्रेकुल से आया था, जिसका अर्थ है "ड्रैगन"। रोमानियाई इतिहास लेखन में, व्लाद को "त्सेपेस" (इम्पेलर) के नाम से जाना जाता है।
व्लाद की कहानी हमें सिखाती है कि सत्ता और क्रूरता कभी साथ नहीं चल सकती। हालांकि व्लाद ने अपने शासनकाल में कई सफलताएं हासिल कीं, लेकिन उसकी क्रूरता ने उसे अमर बना दिया, लेकिन एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिससे सतर्क रहना चाहिए। सच्ची शक्ति करुणा और न्याय में होती है, क्रूरता नहीं।
आइए, हम व्लाद की कहानी से सीख लें और एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ न्याय और करुणा का शासन हो। अपनी राय हमें बताएं कि आप व्लाद की क्रूरता के बारे में क्या सोचते हैं और इस कहानी ने आपको क्या सिखाया।
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