जा तुझे मैं इस नीच कपट के लिए श्राप

3 months ago
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जा तुझे मैं इस नीच कपट के लिए श्राप देता हूं आज से तू पिवना सांप बनकर इसी वृक्ष पर पड़ा रहेगा इतना कहते हुए गुरुदेव ने हथेली में भरे जल की मुझ पर फटकार लगाई और देखते ही देखते मैं एक सर्प में बदल गया मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ और मैं गुरुदेव के चरण कमलों में पड़कर गिड़गिड़ा दे हुए दया की भीख मांगने लगा कि गुरुदेव रहम करें मैं अनंत काल तक ऐसे ही भटकता रहूंगा मेरी मुक्ति का कोई तो उपाय सुझाए जब गुरुदेव का क्रोध थोड़ा शांत हुआ तब उन्होंने कहा ठीक है अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से तुम्हें अपने प्राण हरने देगा तो तुम हमेशा हमेशा के लिए इस श्राप से मुक्त हो जाओगे उसके बाद से आज तक यही मेरा निवास स्थान है अतः लौट जाओ भभूता तुम्हारी माता घर पर तुम्हारी राह देख रही है इतना सुनते ही भभूता सिद्ध जी मुस्कुराने लगे और पीवन सर्प से कहा शायद भगवान शंकर ने मेरी नियति में यही लिखा है मेरा यहां आकर आपसे मिलना महज एक संयोग तो नहीं मैं आपकी मुक्ति के लिए स्वेच्छा से अपने प्राण देने के लिए तैयार हूं तब पीवन सर्प ने कहा तुम्हें मरने से भय नहीं लगता भभूता घर पर तुम्हारी माता तुम्हारी राह देख रही है तब भभूता सिद्ध जी मुस्कुराते हुए बोले कि नागराज एक दिन तो वैसे भी सबको मरना ही है अगर मैं आज मोक्ष को प्राप्त हो जाऊं और मेरी मोक्ष प्राप्ति से किसी का उद्धार भी हो सके तो भला इससे उत्तम और क्या होगा तब पीवणा सांप समझ गया कि यह कोई आम व्यक्ति नहीं अपितु संभवत ही कोई देवीय पुरुष है जो यहां उन्हें श्राप से मुक्ति दिलाने आया है

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