"प्रभु की वापसी के लिए सजगता और करुणा का बुलावा" मत्ती 25:1- 46 #shorts #youtube #ytshorts #shortvid

4 months ago
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"प्रभु की वापसी के लिए सजगता और करुणा का बुलावा" मत्ती 25:1- 46 #shorts #youtube #ytshorts #shortvid मत्ती 25:1-46 अध्याय में यीशु तीन शक्तिशाली दृष्टांतों के माध्यम से यह सिखाते हैं कि परमेश्वर के राज्य में प्रवेश पाने के लिए न केवल सजगता और तैयारी आवश्यक है, बल्कि करुणा, सेवा और प्रेमपूर्ण जीवन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

🌟 1. बुद्धिमान और मूर्ख कुंवारियों की दृष्टांत (पद 1-13)
यह दृष्टांत दस कुंवारी कन्याओं की कहानी है जो दूल्हे के आने की प्रतीक्षा कर रही थीं।

पाँच बुद्धिमान थीं — उनके दीपकों में तेल था और वे तैयार थीं।

पाँच मूर्ख थीं — उन्होंने तेल नहीं लिया और जब दूल्हा आया, तो वे तैयार नहीं थीं।

संदेश:
यीशु अपने अनुयायियों को सचेत करते हैं कि वे सदैव आत्मिक रूप से तैयार रहें, क्योंकि वे नहीं जानते कि वह कब लौटेगा। यह दृष्टांत हमें जागते रहने और आत्मिक तैयारी करने की शिक्षा देता है।

🌱 2. तीन दासों को दी गई प्रतिभाओं की दृष्टांत (पद 14-30)
एक व्यक्ति अपने सेवकों को अपनी संपत्ति सौंपकर यात्रा पर जाता है।

पहले दो सेवकों ने अपनी दी हुई प्रतिभाओं को बढ़ाया।

तीसरे ने डरकर उसे जमीन में गाड़ दिया।

जब स्वामी लौटा, उसने उन सेवकों की सराहना की जिन्होंने अपने उत्तरदायित्वों को निभाया, लेकिन जिसने कुछ नहीं किया उसे बाहर कर दिया गया।

संदेश:
परमेश्वर ने हम सबको कुछ न कुछ दिया है — समय, सामर्थ्य, अवसर। हमें इनका विश्वासयोग्यता से उपयोग करना है। निष्क्रियता या डर के कारण कुछ न करना भी अवज्ञा है।

❤️ 3. अंतिम न्याय और भेड़ों-बकरियों का दृष्टांत (पद 31-46)
यीशु अपने दूसरे आगमन और अंतिम न्याय का दृश्य प्रस्तुत करते हैं:

वह भेड़ों (धर्मी) को अपने दाहिने और

बकरियों (अधर्मी) को अपने बाएं खड़ा करेगा।

भेड़ों को इसलिए स्वीकार किया जाएगा क्योंकि उन्होंने भूखों को खाना दिया, प्यासों को पानी, अजनबियों को अपनाया, नंगों को कपड़े, बीमारों और बंदियों को सहारा दिया — और यीशु कहता है:
"जो कुछ तुम ने मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।"

संदेश:
हमारे कर्म, विशेषकर दूसरों की सेवा और दया दिखाना, यीशु के प्रति हमारे प्रेम और विश्वास को दर्शाते हैं। यह दृष्टांत बताता है कि प्रेममयी सेवा ही सच्चे विश्वास का प्रमाण है।

✅ निष्कर्ष:
मत्ती 25 अध्याय हमें तीन मुख्य बातें सिखाता है:

सजग और तैयार रहो — क्योंकि प्रभु कभी भी आ सकते हैं।

विश्वासयोग्य बनो — अपने दिए हुए वरदानों को परमेश्वर के लिए उपयोग करो।

दया और प्रेम से जीओ — क्योंकि यीशु हर ज़रूरतमंद में मौजूद हैं।

यह अध्याय हमें न केवल आत्मिक रूप से तैयार रहने की चेतावनी देता है, बल्कि दूसरों के प्रति हमारे व्यवहार को भी गंभीरता से लेने की प्रेरणा देता है। #AUDIO BIBLE READING.#Exploring Faith In JESUS CHRIST .
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