Cellular Detox Testimony

1 day ago
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परमेश्वर ने समय और ऊर्जा के अनंत रूप से, समय को उठा कर सीमा में बांध दिया और ऊर्जा अपना रूप बदल कर शक्ति बन गई और इस शक्ति से परमेश्वर ने जीवन उत्पन्न किया। जब पूर्ण ऊर्जा शक्ति में परिवर्तित हो कर समय सीमा में बांधी गई तब इस सीमा के बाहर की परिस्थिति शक्तिविहीन हो गई । इस शक्ति विहीन को शैतानी और शक्तिशाली को सनातनी कहते है।

शक्तिविहीन का काम बन जाता है कि वह समय की सीमा को खोल दे और पुनः समय और ऊर्जा के अनंत रूप को स्थापित करे।

शक्तिशाली का काम बन जाता है कि वह समय को बांध कर रखे और शक्ति से जीवन बनाए रखें।

इसके लिए शैतानी को छल से काम करना पड़ता है और सनातनी को हमेशा इस छल को पहचानने के लिए जागृत रहना पड़ता है।

जागृत रहने के लिए पांच काम करते रहना होता है
1. प्रार्थना करते रहो।
2. प्रकृति में परमेश्वर के बनाए नियम का पालन करते रहो
3. विविधता में एकता बनाए रखो
4. सत्य पर स्थिर रहो
5. दुष्ट को दंड देते रहो

ऐसा करने से जीवन को स्थाई रूप मिलता है। स्थाई रूप का उदाहरण है, प्रजनन, एक तरफ समय का चक्र खुलता है और ऊर्जा अनंत रूप लेता है और दूसरी तरफ प्रजनन द्वारा समय की सीमा बांधती है और ऊर्जा को शक्ति में बनाए रहती है ताकि जीवन बना रहे।

इसे जीवन और मृत्यु का चक्र कहते है।
इस चक्र में मन की शक्ति मालिक के रूप में और कोशिकाएं सेवक के रूप में रिश्ता जोड़ती है।
यही रिश्ता सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिका तंत्र द्वारा प्रवाहित होती है जिसके लिए तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएं एकत्रित होकर मस्तिष्क के रूप में मन के मालिक को बैठाती है।
मस्तिष्क कि कोशिकाएं लगातार बनती एवं टूटती रहती है। इसके बनने और टूटने के लिए तीन प्रकार की शक्ति का रूप कारण करता है ।
1. Information जानकारियां विज्ञान science
2. विचार शक्ति power of thoughts,
3. Emotion भावना
इन तीनों को ही सही तरीके से चलाते रहना सबसे महत्वपूर्ण काम है सनातनियों का।

इसे सही तरीके से चलाते रहने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण पहली कड़ी है।
प्रशिक्षण अनुभवों के आधार पर सृजन की जाती है।
प्रजनन, प्रशिक्षण, पद्धति, परिवर्तन, परिवार, समाज, सहयोग, स्वास्थ्य समृद्धि से आनंद बना रहता है।
रिश्ता अर्थात संबंध सर्वोपरि है।
1. गुलामी
2. दोस्ती
युहन्ना ने 15 अध्याय के 15 वचन में लिखा है कि यीशु मसीह ने अपने शिष्यों से कहा, की अब से मै तुम्हे अपना दास नहीं दोस्त अर्थात मित्र कहूंगा, क्योंकि मित्र को मुहब्बत हो जाती है, और सिर्फ मुहब्बत में माफी है, मुहब्बत में बलिदान है और मुहब्बत से भरे बलिदान में ही उद्धार और पुनरुत्थान है। यही सत्य है, यही मार्ग है और यही जीवन है।

इस पूरे सत्य को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए इन जानकारियों को संक्षिप्तीकरण किया गया।
*भगवान की पूजा कर पुन्निय होगा, अपूजा तो पाप।*
इसका विस्तृतिकरण ही काम है सनातनियों का । इस विस्तृतिकरण को गलत करवाना काम है शक्तिविहीन शैतानी का

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