SHOORVEER Tribute to BAPPA RAWAL

1 month ago
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बप्पा रावल एक दूरदर्शी सेनापति और एक महान योद्धा थे , उनको पहले से ज्ञात था कि केवल अपनी सीमा के भीतर दुश्मन को समाप्त करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें उनके भी देश से भी नष्ट करना जरूरी हैं । इसलिए, बप्पा रावल अपनी सैना के साथ आगे बढ़कर अपनी साम्राज्य की सीमाएँ ईरान तक स्थापित की। लौटते समय, उन्होंने हर सौ किलोमीटर पर एक सैन्य चौकी स्थापित की, ताकि शत्रु पुनः आक्रमण करने का स्वप्न भी न देख सके। इस प्रकार, भारत पे इस्लामी आक्रमण को 1192 ईस्वी तक 400 से अधिक वर्षों तक सफलतापूर्वक रोका गया। उत्तर-पश्चिमी सीमा को और मजबूत करने के लिए, उन्होंने एक शहर का निर्माण किया जिसका नाम रावलपिंडी था (जो वर्तमान में पाकिस्तान में है)। बप्पा रावल कश्मीर के कर्कोटा साम्राज्य के पराक्रमी सम्राट लालितादित्य और दक्षिण के राष्ट्रकूट साम्राज्य के संस्थापक दंतिदुर्ग के सम कालीन थे। बप्पा रावल के साथ-साथ भारत भूमि से अरबों को खदेड़ने में लालितादित्य और दंतिदुर्ग की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। साहसी योद्धा होना बप्पा रावल के व्यक्तित्व का केवल एक पहलू था। दूसरी ओर, वह भगवान शिव के परम भक्त थे और हरित ऋषि के साथ उनका गहन आध्यात्मिक संबंध था, जिनसे उन्हें विजय का आशीर्वाद मिला । उन्होंने एकलिंगजी मंदिर का निर्माण किया, जो शिव का एक रूप है और आज भी मेवाड़ राजवंश के कुलदेवता हैं । जहाँ वह अपने दुश्मनों के प्रति निर्दय और निष्ठुर थे , वहीं अपने प्रजाजन के प्रति वह उदार व करुणामय थे । पिता तुल्य के रूप में उनके प्रति अपार प्रेम के कारण लोग उन्हें "बप्पा" कहकर संबोधित करने लगे।753 ईस्वी में सिंहासन त्याग कर , वह जंगल में भगवान शिव की भक्ति में पूरी तरह से मग्न हो गए। माना जाता है कि उन्होंने बहुत लंबा जीवन व्यतीत किया, शायद सौ साल से अधिक, और अत्यंत वृद्धावस्था में भगवान शिव के चरणों को प्राप्त किया।

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