Geeta Gyan | श्रीमद् भगवत गीता | अध्याय 1 | गीता महात्मय | भगवान् कृष्ण

2 months ago
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धृतराष्ट्र उवाच । धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्ने समवेता युयुत्सवः | मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय
भगवद्गीता एक बहुपठित आस्तिक विज्ञान है जो गीता महात्मय में सार रूप में दिया हुआ है। इसमें यह उल्लेख है कि मनुष्य को चाहिए कि वह श्रीकृष्ण के भक्त की सहायता से संवीक्षण करते हुए भगवद्गीता का अध्ययन करे और स्वार्थ प्रेरित व्याख्याओं के बिना उसे समझने का प्रयास करे| अर्जुन ने जिस प्रकार से साक्षात् भगवान् कृष्ण से गीता सुनी और उसका उपदेश ग्रहण किया, इस प्रकार की स्पष्ट अनुभूति का उदाहरण भगवद्वीता में ही है। यदि उसी गुरु-परम्परा से, निजी स्वार्थ से प्रेरित हुए बिना, किसी को भगवद्गीता समझने का सौभाग्य प्राप्त हो तो वह समस्त वैदिक ज्ञान तथा विश्व के समस्त शास्त्रों के अध्ययन को पीछे छोड़ देता है । पाठक को भगवद्गीता में न केवल अन्य शास्त्रों की सारी बातें मिलेंगी अपितु ऐसी बातें भी मिलेंगी जो अन्यत्न कहीं उपलब्ध नहीं हैं। यही गीता का विशिष्ट मानदण्ड है। स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा साक्षात् उच्चरित होने के कारण यह पूर्ण आस्तिक विज्ञान है

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