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"चिंता मुक्त जीवन के लिए ईश्वर का संदेश" मत्ती 6:25 |#shortsvideo #shorts #youtubeshorts #yt
मत्ती 6:25 का विवरण
पद:
"इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे, और क्या पीएंगे; और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहनेंगे। क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?"
संदर्भ और महत्व
संदर्भ:
सद्भावना का संदर्भ: मत्ती 6:25 यीशु के पहाड़ की शिक्षा का एक भाग है, जहां वह अपने अनुयायियों को सिखाते हैं कि उन्हें सांसारिक चिंताओं और चिंताओं से ऊपर उठना चाहिए। यह शिक्षा आत्मा की आंतरिक शांति और ईश्वर में अडिग विश्वास पर केंद्रित है।
भौतिक वस्त्रों से ऊपर उठना: यीशु इस पद के माध्यम से यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि जीवन केवल भौतिक वस्त्रों पर निर्भर नहीं करता है। वे हमें यह सिखाते हैं कि भोजन और वस्त्र की आवश्यकता महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यह न भूलें कि जीवन का गहरा अर्थ और उद्देश्य है।
आध्यात्मिक महत्व:
ईश्वर में विश्वास: यह पद ईश्वर में अटूट विश्वास रखने के लिए प्रेरित करता है। यीशु अपने अनुयायियों को विश्वास दिलाते हैं कि ईश्वर हमारी सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखता है, और हमें अपने जीवन में परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए।
चिंता मुक्त जीवन: यह पद दर्शाता है कि चिंता और तनाव हमारे जीवन को बाधित करते हैं। यीशु हमें सिखाते हैं कि चिंता हमारे आत्मा की शांति को छीन लेती है और हमें अपने लक्ष्य से भटका देती है।
जीवन का वास्तविक अर्थ: इस पद के माध्यम से, यीशु हमारे जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर इशारा करते हैं, जो कि भौतिक साधनों से परे है। आत्मिक समृद्धि, परमेश्वर का प्रेम और हमारी नैतिकता हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता:
आज की दुनिया में चिंता: आज के समय में, जब लोग आर्थिक और सामाजिक चिंताओं में घिरे होते हैं, यह पद हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी चिंताओं को परमेश्वर के हाथों में सौंप देना चाहिए।
सकारात्मक जीवन दृष्टिकोण: यह शिक्षा हमें अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और दैनिक समस्याओं के बावजूद खुशी और संतोष पाने का प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है।
व्याख्या:
इस पद के माध्यम से, यीशु यह संदेश देते हैं कि चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमारा जीवन भौतिक सुख-सुविधाओं से बढ़कर है। यीशु हमें यह समझाते हैं कि हमें परमेश्वर पर पूरा विश्वास रखना चाहिए और हमारे जीवन की हर चिंता उनके हवाले कर देनी चाहिए। इस विश्वास के साथ हम एक संतोषजनक और आंतरिक शांति से भरपूर जीवन जी सकते हैं।
निष्कर्ष
मत्ती 6:25 एक महत्वपूर्ण पाठ है जो हमें हमारी प्राथमिकताओं की याद दिलाता है। यह हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी चिंताओं को परमेश्वर को सौंप देना चाहिए और उनके मार्गदर्शन में अपने जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए। यह पद हमारी आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर के प्रति विश्वास का प्रतीक है।
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