मत्ती 4:7: "ईश्वर की परीक्षा मत लो"

3 hours ago
1

मत्ती 4:7: "ईश्वर की परीक्षा मत लो"
प्रसंग:

मत्ती अध्याय 4 यीशु के जंगल में 40 दिन और 40 रातों के उपवास और शैतान द्वारा तीन प्रलोभनों का वर्णन करता है। मत्ती 4:7 में, यीशु शैतान द्वारा दूसरे प्रलोभन का सामना करते हुए उत्तर देता है। शैतान ने यीशु को यरूशलेम के मंदिर के शिखर पर ले जाकर कहा कि यदि वह ईश्वर का पुत्र है, तो उसे नीचे कूद जाना चाहिए क्योंकि शास्त्र कहता है कि ईश्वर अपने स्वर्गदूतों को उसकी रक्षा के लिए भेजेगा। इस पर यीशु का उत्तर आता है।

पद:

मत्ती 4:7 (HIN):
"यीशु ने उससे कहा, ‘यह भी लिखा है, ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न ले।’"

विवरण:
प्रलोभन का संदर्भ:

शैतान का दूसरा प्रलोभन: शैतान ने यीशु को यरूशलेम के मंदिर के शिखर पर ले जाकर चुनौती दी कि यदि वह वास्तव में ईश्वर का पुत्र है, तो उसे मंदिर से कूद जाना चाहिए, यह दिखाने के लिए कि ईश्वर उसकी रक्षा करेगा।
भरोसा और विश्वास की परीक्षा: शैतान ने भजन संहिता 91:11-12 का हवाला देते हुए कहा कि ईश्वर अपने स्वर्गदूतों को भेजकर उसकी रक्षा करेगा, जिससे यह प्रकट हो कि यीशु को अपने पिता ईश्वर पर पूरा विश्वास होना चाहिए।
यीशु का उत्तर:

धैर्य और ज्ञान: यीशु ने धैर्यपूर्वक उत्तर दिया, यह दिखाते हुए कि शैतान के शब्दों का सही अर्थ समझना और उस पर विचार करना आवश्यक है।
पवित्र शास्त्र का हवाला: यीशु ने व्यवस्थाविवरण 6:16 का हवाला देते हुए कहा, "तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न ले।" इसका तात्पर्य यह है कि ईश्वर पर विश्वास होना चाहिए, लेकिन उसे अनावश्यक रूप से परखा नहीं जाना चाहिए।
परीक्षा का अर्थ:

ईश्वर की परीक्षा: ईश्वर की परीक्षा लेने का अर्थ है उसे ऐसे काम करने के लिए बाध्य करना जो केवल हमारे स्वयं के लाभ के लिए हो। यह एक प्रकार का अविश्वास और अभिमान है।
विश्वास और नम्रता: यीशु का उत्तर सिखाता है कि सच्चा विश्वास नम्रता से भरा होता है, और यह विश्वास करता है कि ईश्वर का मार्गदर्शन और सुरक्षा हमारे जीवन में हर समय विद्यमान है, बिना उसे चुनौती देने की आवश्यकता के।
व्यापक संदेश:

आध्यात्मिक शिक्षा: यह पद इस बात पर जोर देता है कि हमें अपने विश्वास को प्रदर्शित करने के लिए ईश्वर की शक्ति को चुनौती नहीं देनी चाहिए। यह हमारे और ईश्वर के बीच के संबंध की पवित्रता को बनाए रखने का संदेश देता है।
जीवन के प्रति दृष्टिकोण: इस उत्तर से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना विश्वास और नम्रता के साथ करना चाहिए, बिना ईश्वर को अनावश्यक रूप से चुनौती दिए।
व्यक्तिगत प्रतिबिंब:
मत्ती 4:7 हमें यह सिखाता है कि हमें अपने विश्वास को सच्चे दिल से बनाए रखना चाहिए और ईश्वर पर अपने भरोसे को प्रदर्शित करने के लिए उसे अनावश्यक रूप से परखने से बचना चाहिए। यह हमें अपने जीवन में नम्रता, धैर्य और ईश्वर के प्रति निष्ठा के साथ चलने के लिए प्रेरित करता है। हमें यह समझना चाहिए कि सच्चा विश्वास ईश्वर की परीक्षा लेने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उसके मार्गदर्शन और प्रेम में स्थिरता और विश्वास बनाए रखना है।#secret of faith and mercy in jesus christ.
#shivam Sonkhare, #Filadelfia Music,#Yeshua Ministries,#THE LORD IS GRACIOUS,#HOUSE OF GOD.#Masih Network,#Holy Spirit Productions,#BIBLE WORLD,#Mode of Salvation,#
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया,#Masih Network,#Karan bhai ka chenel,#Preach The Word Deepak,#Masih NetworkAcharya Vikas Massey
#Prophet Shepherd Bushiri, #Akanesi Nofomamau,#Pastor Alph Lukau,#Prophet Shepherd Bushiri,#Ruth Emmanuel-Makandiwa,#Pastor. T Global,#Prophet Martinien Elamenji,#Eloh,#TB Joshua,#King David Omale,#Prophet junior Jeremiah,#Prophet Jeremiah Omoto Fufeyin,#CHRIST TV,#Apostle Suleman,#Benny Hinn ,#BringBackTheCross,#TB Joshua,#mightymiracles,#WatchPastorChris ,#Living Faith Church Worldwide,#PROPHET JEREMIAH OMOTO FUFEYIN.,#Christ Mercyland,#David Ibiyeomie,#Pastor Alph Lukau,#
Uebert Angel,#

Loading comments...