"पूर्व की ओर से ज्योतिषियों का यरूशलेम आगमन और मिस्र पलायन" मत्ती 2:1-23 |

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मत्ती 2:1-23 के इस खंड में कई महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं, जो यीशु के जन्म के बाद घटित होती हैं। इसे तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है:

1. ज्योतिषियों का यरूशलेम आगमन (मत्ती 2:1-12)
बेतलेहम में यीशु का जन्म: इस खंड की शुरुआत बेतलेहम में यीशु के जन्म से होती है। यहूदा के राजा हेरोदेस के समय में, पूर्व से ज्योतिषी (मागी) यरूशलेम आए।

ज्योतिषियों का आगमन और प्रश्न: ज्योतिषी कहते हैं कि वे उस बालक की पूजा करने आए हैं, जो यहूदियों का राजा जन्मा है। उन्होंने एक तारे को देखा जो उनके अनुसार उस बालक के जन्म का संकेत देता था।

हेरोदेस का चिंतित होना: यह सुनकर हेरोदेस और पूरा यरूशलेम परेशान हो जाता है। हेरोदेस प्रधान पुरोहितों और धर्मशास्त्रियों को बुलाकर उनसे मसीह के जन्मस्थान के बारे में पूछता है।

बेतलेहम की भविष्यवाणी: पुरोहित और शास्त्री भविष्यवाणी के आधार पर बताते हैं कि मसीह का जन्म बेतलेहम में होगा।

हेरोदेस का गुप्त संवाद: हेरोदेस गुप्त रूप से ज्योतिषियों को बुलाकर उनसे तारे के समय के बारे में पूछता है और उनसे कहता है कि वे बालक को ढूंढकर उसे बताएं ताकि वह भी उसकी पूजा कर सके।

तारे का मार्गदर्शन: ज्योतिषी तारे के मार्गदर्शन से बालक के पास पहुँचते हैं और उसे मरियम के साथ पाकर उसकी पूजा करते हैं। वे सोने, लोबान, और गंधरस के उपहार भेंट करते हैं।

ज्योतिषियों की वापसी: परमेश्वर के स्वप्न में निर्देश के अनुसार, वे हेरोदेस के पास वापस नहीं लौटते और दूसरे रास्ते से अपने देश लौट जाते हैं।

2. मिस्र पलायन (मत्ती 2:13-15)
स्वप्न में चेतावनी: परमेश्वर एक स्वप्न में यूसुफ को चेतावनी देते हैं कि हेरोदेस बालक यीशु को मारने की योजना बना रहा है।

मिस्र पलायन: यूसुफ, मरियम, और बालक यीशु रात में ही उठकर मिस्र की ओर पलायन करते हैं और हेरोदेस की मृत्यु तक वहीं रहते हैं। यह पुराने नियम की भविष्यवाणी को पूरा करता है: "मैंने मिस्र से अपने पुत्र को बुलाया।"

3. बेतलेहम में बालकों की हत्या और नासरत लौटना (मत्ती 2:16-23)
हेरोदेस का क्रोध: ज्योतिषियों के द्वारा धोखा दिए जाने पर हेरोदेस बहुत क्रोधित होता है और बेतलेहम और उसके आसपास के सभी दो साल और उससे छोटे बालकों की हत्या का आदेश देता है। यह यिर्मयाह नबी की भविष्यवाणी को पूरा करता है।

हेरोदेस की मृत्यु: हेरोदेस की मृत्यु के बाद, यूसुफ को स्वप्न में फिर से निर्देश मिलता है कि वे वापस इस्राएल लौट सकते हैं।

गलीलिया प्रांत में बसना: यूसुफ वापस इस्राएल लौटने के लिए निकलता है लेकिन हेरोदेस के पुत्र अर्केलाउस के यहूदिया में शासन करने के कारण, वह वहाँ नहीं जाता। इसके बजाय, वह गलीलिया के नासरत में बस जाता है, जो भविष्यवाणी को पूरा करता है कि "वह नासरी कहलाएगा।"

इन घटनाओं का महत्व
ज्योतिषियों का आगमन: यह इंगित करता है कि यीशु केवल यहूदियों के लिए नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति के उद्धार के लिए आए थे। पूर्व से आए मागी यह दर्शाते हैं कि अन्य जातियां भी मसीह के आगमन का स्वागत करती हैं।

मिस्र पलायन: यह घटना यीशु को पुराने नियम की कथा से जोड़ती है, जहाँ इस्राएल भी मिस्र से बाहर निकला था। यीशु का मिस्र में शरण लेना और वहाँ से वापस लौटना एक प्रतीकात्मक संदर्भ है।

हेरोदेस की क्रूरता: यह मसीह के प्रति विरोध का प्रतीक है जो उनके जीवन के आरंभ से ही मौजूद था। हेरोदेस की क्रूरता उन लोगों की कहानी है जो प्रभुता और सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

नासरत में बसना: नासरत में बसने की घटना यह दर्शाती है कि यीशु का प्रारंभिक जीवन एक सामान्य और निम्न वर्ग के परिवार में गुजरा, जो उनकी विनम्रता और सरलता को दर्शाता है।

ये घटनाएँ न केवल यीशु के जीवन के आरंभिक वर्षों का विवरण देती हैं, बल्कि उनके ईश्वरीय उद्देश्यों और भविष्यवाणियों की पूर्ति को भी प्रकट करती हैं।

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