"याकूब और परमेश्वर का संघर्ष" उत्पत्ति 32:25 |

1 month ago
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उत्पत्ति 32:25 (जिसे कई बार उत्पत्ति 32:24-32 के संदर्भ में देखा जाता है) बाइबिल के पुराने नियम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पद याकूब की एक विशेष घटना का वर्णन करता है जिसमें उसने रात भर एक रहस्यमय व्यक्ति के साथ कुश्ती की, जो बाद में परमेश्वर का दूत या स्वयं परमेश्वर के रूप में पहचाना जाता है। इस घटना का गहरा आध्यात्मिक और सांकेतिक महत्व है।

पद का विवरण:
संदर्भ:
याकूब, अब्राहम का पोता और इसहाक का बेटा, अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। उसने अपने भाई एसाव से अपने पिता की आशीर्वाद और पैतृक अधिकार चुराने के बाद कई वर्षों तक अपने चाचा लाबान के साथ समय बिताया। अब, वह अपने परिवार और संपत्ति के साथ वापस आ रहा है, और उसे एसाव का सामना करना है, जिससे वह डरता है। इस तनावपूर्ण रात में, जब याकूब अकेला था, उसने एक रहस्यमय व्यक्ति के साथ संघर्ष किया।

पद का वर्णन:
संघर्ष की रात: याकूब ने इस व्यक्ति के साथ रात भर संघर्ष किया। इस संघर्ष का शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से बड़ा महत्व है।
शक्ति की परीक्षा: पद 25 में कहा गया है, "उसने याकूब की जांघ को छू दिया, और याकूब की जांघ की नस छूट गई।" यह संघर्ष याकूब की दृढ़ता और शक्ति की परीक्षा के रूप में देखा जाता है।
नए नाम और आशीर्वाद: अंततः, इस रहस्यमय व्यक्ति ने याकूब को "इस्राएल" नाम दिया, जिसका अर्थ है "परमेश्वर के साथ संघर्ष करने वाला" या "परमेश्वर का राजकुमार।" यह नाम परिवर्तन याकूब के जीवन में एक नया अध्याय और उसकी आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक है।
याकूब की जांघ पर चोट: इस संघर्ष के बाद, याकूब की जांघ की नस छूट गई, और वह लंगड़ाते हुए चला। यह स्थायी निशान याकूब की उस रात के संघर्ष और उसकी दृढ़ता का प्रतीक है।
सांकेतिक महत्व:
आध्यात्मिक संघर्ष: यह घटना याकूब की आत्मा की गहराई में चल रहे संघर्ष और उसकी परमेश्वर से निकटता की खोज को दर्शाती है। यह हमें जीवन में आने वाले कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते हुए भी हमारे विश्वास और दृढ़ता को बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
परिवर्तन और पुनर्जन्म: याकूब का नया नाम और आशीर्वाद एक नए जन्म और उसके जीवन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है। यह हमें यह सिखाता है कि संघर्ष और परीक्षणों के बाद, एक नई पहचान और उद्देश्य मिल सकता है।
भरोसा और विनम्रता: याकूब की जांघ की चोट उसे हमेशा यह याद दिलाती थी कि अपनी शक्ति और प्रयासों के बावजूद, परमेश्वर की कृपा और शक्ति पर विश्वास करना आवश्यक है।
सारांश:
उत्पत्ति 32:25 का पद याकूब के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। यह न केवल शारीरिक संघर्ष की कहानी है बल्कि याकूब की आध्यात्मिक यात्रा का एक गहरा रूपक भी है। यह हमें विश्वास, दृढ़ता, और परमेश्वर की आशीर्वाद की खोज के महत्व को समझने में मदद करता है।
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