मगर में अकाल

4 months ago
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गरीब, काल डरै करतार से, जय-जय-जय जगदीश।
जौरा जोरी झाड़ती, पग रज डारे शीश।।
गरीब, काल जो पीसै पीसना, जौरा है पनिहार।
ये दो असल मजूर हैं, सतगुरू कबीर के दरबार।।

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