बाइबिल में एक दिलचस्प कहानी I जब 12 साल के यीशु अपने माता-पिता से मंदिर में बिछड़ जाते

9 months ago
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हर साल, फसह के पर्व पर यीशु अपने माता-पिता, मरियम और यूसुफ के साथ यरूशलेम जाते थे. एक बार, वापसी के समय भीड़भाड़ में चलते हुए किसी तरह यीशु, मरियम और यूसुफ बिछड़ गए.
शाम को पता चला कि यीशु उनके साथ नहीं हैं, तो मरियम और यूसुफ घबरा गए. वो उन्हें हर जगह ढूंढने लगे. तीन दिन तक उन्हें तलाशने के बाद वे हार मानने ही वाले थे कि उन्हें अचानक यरूशलेम के मंदिर में यीशु मिल गए.
वहां का नज़ारा चौंकाने वाला था. 12 साल का ये लड़का बड़े-बड़े ज्ञानी पंडितों से सवाल पूछ रहा था और उन्हें जवाब भी दे रहा था. उसकी बातों में इतनी बुद्धि और गहराई थी कि वहां मौजूद सभी लोग हैरान थे.
मरियम यीशु के पास दौड़ीं और थोड़ा गुस्से से बोलीं, "बेटा, तुमने हमें इतना डरा दिया! हम तीन दिन से तुम्हें ढूंढ रहे हैं."
यीशु ने शांत स्वर में जवाब दिया, "मैं तो अपने पिता के घर में ही था, आप मुझे ढूंढ क्यों रहीं?" (यहां यीशु ने ये कहकर कि वो अपने पिता के घर में है, असल में मंदिर की तरफ इशारा किया, जिसे ईश्वर का घर माना जाता है.)
भले ही यीशु के इस जवाब का पूरा मतलब उस वक्त मरियम और यूसुफ को नहीं समझ आया, फिर भी वो ये मानते थे कि यीशु उनके बेटे हैं और उनका कहना मानना चाहिए. इसलिए यीशु उनके साथ वापस नाज़रथ लौट आए और अपने माता-पिता की बात मानने वाले बेटे बने रहे.
ये वाकया यीशु के बचपन में ही उनके असाधारण ज्ञान की झलक देता है. साथ ही ये कहानी ये भी बताती है कि माता-पिता और बच्चों के बीच प्यार और इज़्ज़त कितनी ज़रूरी होती है. भले ही यीशु की इस हरकत से उनके माता-पिता परेशान हो गए, परन्तु उन्होंने ये ज़रूर समझा कि यीशु का ईश्वर के प्रति कितना गहरा लगाव है.
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