"एसाव का अपना जन्मसिद्ध अधिकार बेचना" उत्पत्ति अध्याय 25 के पद 32 और 33 |

29 days ago
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उत्पत्ति अध्याय 25 के पद 32 और 33 में एक महत्वपूर्ण घटना का वर्णन किया गया है जिसमें एसाव ने अपने छोटे भाई याकूब को अपना जन्मसिद्ध अधिकार बेच दिया। यह घटना इस प्रकार है:

पृष्ठभूमि: एसाव और याकूब, इसहाक और रिबका के जुड़वां बेटे थे। एसाव बड़ा था और इसलिए उसे परिवार का जन्मसिद्ध अधिकार (जिसमें परिवार की संपत्ति और आशीर्वाद का बड़ा हिस्सा शामिल होता है) प्राप्त था।

एसाव की भूख: एक दिन, जब एसाव शिकार से लौटा तो वह बहुत भूखा और थका हुआ था। उसने याकूब को दाल का एक कटोरा बनाते देखा और उससे खाने के लिए माँगा।

याकूब का प्रस्ताव: याकूब ने इस मौके का फायदा उठाते हुए एसाव से कहा कि अगर वह अपना जन्मसिद्ध अधिकार उसे बेच दे, तो वह उसे खाने के लिए दाल देगा।

एसाव का निर्णय: एसाव भूख से बेहाल था और उसने अपने जन्मसिद्ध अधिकार का महत्व नहीं समझा। उसने कहा, "देखो, मैं भूख से मर रहा हूँ। ऐसे में मेरे जन्मसिद्ध अधिकार का क्या लाभ?" इसके बाद, याकूब ने एसाव से शपथ लेकर उसका जन्मसिद्ध अधिकार ले लिया और उसे खाने के लिए दाल दी।

यह घटना एसाव की अधीरता और अपने अधिकारों के प्रति उदासीनता को दर्शाती है, जबकि याकूब की चतुराई और अपने लाभ के लिए अवसर का उपयोग करने की क्षमता को दिखाती है। इस कहानी का शीर्षक "एसाव का अपना जन्मसिद्ध अधिकार बेचना" इस घटना के मुख्य बिंदु को स्पष्ट रूप से वर्णित करता है।

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