आचार्य ब्रह्मभट्ट जी का Somnath Mandir के लिए योगदान।

7 months ago
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जब सोमनाथ के मंदिर को विध्वंस करने के लिए मोहम्मद गजनवी सोमनाथ पहुंचा तो आचार्य ने गजनी को कहा कि तुम अपने गुर्ज को मेरे मस्तक पर दे मारो क्योंकि आचार्य ब्रह्मभट्ट को ज्ञात था कि मस्तिष्क के अंदर जो रक्त रहता है उसे ब्रह्मकपाली कहते है और ये रक्त बहुत ही पवित्र होता है, यदि गजनी ने मेरे शीश पर गुर्ज को मारा तो महादेव जी का रक्त स्नान के अभिषेक द्वारा विसर्जन हो जाएगा।

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