"करुणा की पवित्र आत्मा: १ कुरिन्थीयों १३:१३"

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"करुणा की पवित्र आत्मा: १ कुरिन्थीयों १३:१३" के इस अध्याय में, पौलस एक उदाहरणीय तरीके से प्रेम की महत्ता को बताते हैं। उनके अनुसार, प्रेम सभी धर्मों में सबसे महत्वपूर्ण है। यहाँ पर व्यक्त किया गया है कि श्रद्धा, आशा और प्रेम ये तीन गुण बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है प्रेम। इस अध्याय में पौलस ने विविध चरित्रों और गुणों के महत्व को बताया है, लेकिन उन्होंने यहाँ प्रेम को सर्वोपरि और सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया है। यह भावना व्यापक है कि प्रेम के बिना धर्मिकता और आध्यात्मिकता अधूरी हैं।

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