जैसे कुछ तैसा ||Prerak kahani in Hindi || motivation story in Hindi

3 months ago
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इस Prerak Kahaniya In Hindi में आप देखेंगे की एक टीचर और एक स्टूडेंट की कहानी। जो की दोनों एक सफर पे निकले हुए हैं। उनके साथ क्या-क्या होता है? चलिए जानते हैं।
एक बड़ी छोटी सी कहानी है, एक टीचर की! जो अपने स्टूडेंट के साथ घूमने निकले थे। एक गांव से दूसरे गांव जाते हो और एक शहर से दूसरे शहर जाते। यही उनका घूमने का तरीका था। जो कि घूमने निकले हुए थे तो जहां पर भी शाम में रुकते थे, वहां पर प्रवचन देते, और उससे ज्यादा बात नहीं करते। 
क्योंकि उन्हें शांत रहना पसंद था। लेकिन उनका जो स्टूडेंट था उनको दुनिया की चीजों में और दुनिया की बातों में बड़ा इंटरेस्ट था। 
दूसरों की जिंदगी में ताका-झांकी करने में यकीन रखता था और लोगों से ज्यादा से ज्यादा बात करना उसे बहुत पसंद था। उस लड़के के टीचर को यह सब बातें पसंद नहीं थी। वह दूसरों की जिंदगी में ताका-झांकी करना पसंद नहीं करते थे। 
 वो अपने काम से काम रखते थे! और रास्ते पर चलते थे। एक सुबह निकले, वही अपने सफ़र पर। और एक नदी किनारे से उनका गुर्जर हुआ। उन्होंने देखा कि एक मछुआरा जो है मछली पकड़ रहा था। वह तो चुपचाप निकल गए वहां से। 
लेकिन उनका जो स्टूडेंट था, उससे तो रहा नहीं गया। वह गया दौड़ करके मछुआरे के पास और उसको अहिंसा का उपदेश देना शुरू कर दिया। तुमको हिंसा नहीं करना चाहिए! यह गलत काम है, यह है, वह है, ऐसे बोलने लगा। 
बहुत देर तक उसे मछुआरे को समझता रहा। मछुआरे ने बहुत देर तक कुछ रिएक्ट नहीं किया, मतलब कुछ बोला नहीं उसको। लेकिन जब वह स्टूडेंट बोला ही जा रहा था और ज्ञान पर ज्ञान दिए जा रहा था। 
तो जो मछुआरा था वह फिर शुरू हो गया फिर दोनों के बीच बहस शुरू हो गई। वही की मछुआरे ने कहा ” यह मेरा काम है मुझे मेरा काम करने दो! तुम क्यों मेरे काम में टांग अड़ा रहे हो? ” धीरे-धीरे बहस बढ़ती गई और झगड़ा शुरू हो गया। 
वह टीचर आगे जा रहे थे, उन्होंने शोर सुना और पीछे मुड़कर देखा तो स्टूडेंट और मछुआरे का बहस शुरू हो चुका है। तो उन्होंने दौड़ कर आया और उस स्टूडेंट का हाथ पकड़ा और उसको खींच के वहां से लेकर चले गए। उन्हें अपने स्टूडेंट का हालत मालूम था। 
उसे समझाने लगे, कि तुम क्यों उलझते हो लोगों से! स्टूडेंट ने कहा ” क्या आपने देखा नहीं टीचर जी! वह आदमी को गलत काम कर रहा है, मैं उसे शिक्षा दे रहा हूं। की हिंसा नहीं करना चाहिए! अहिंसा का रास्ता अपनाओ। तो टीचर ने कहा ” तुम क्यों उसे शिक्षा दे रहे हो, और तुम उसके पीछे क्यों पड़े हो? ” स्टूडेंट ने कहा ” मुझे उसे समझाना पड़ेगा, उसे तो कोई सजा नहीं दे रहा है। यहां के राजा ने भी कोई ऐसा रूल नहीं रखा है, कि ऐसे लोगों को सजा दिया जाए! “
तो टीचर ने कहा ” यहां कोई किसी को सजा नहीं देगा! सजा तो खुदा देगा। तुम्हें किसी को सजा देने की जरूरत नहीं और तुम्हें किसी को समझाने की जरूरत नहीं है। ” स्टूडेंट ने कहा ” वह क्या किसी को सजा देगा! “
टीचर ने कहा “बस! वह वक्त आने पर वह अपना फैसला सुना देता है! हमें इस मामले में पढ़ने की जरूरत नहीं है और हमें किसी से झगड़ा करने की जरूरत भी नहीं है। 
फिर उनका स्टूडेंट चुप हो गया, टीचर ने समझाई थी बात इसलिए कुछ बोला नहीं। इस बात को 2 साल गुजर गए और कमल की बात यह है कि उसी रास्ते से वापस जा रहे थे। वही सुबह का वक़्त था, पर नदी का नजारा बदला हुआ था। 
स्टूडेंट देखता है की नदी के किनारे, एक सांप अपना जान बचाने के लिए तड़प रहा है। चीटियां उसे नोच कर करके खा रहे हैं! स्टूडेंट को यह भी देखा नहीं गया और दौड़ कर गया उसे सांप को बचाने के लिए। टीचर ने फिर से हाथ पकड़ लिया और बोला ” नहीं! जो हो रहा है होने दो। ” 
स्टूडेंट ने कहा आप मुझे अजीब तरह से पेश आ रहे हो। मैं कभी हिंसा करने वाले को रोकता हूं, तब भी आप रोकते हो। और अभी किसी की जान बचा रहा हूं, तब भी आप मना कर रहे हो। 
टीचर ने कहा ” मैंने कहा था ना वह खुदा अपना फैसला सुनाते हैं! अपना फैसला सुनने दो। ” , ” क्या तुम्हें याद है? यहीं से तो हम 2 साल पहले गुजरे थे! यह जो सांप है यह मछुआरा है और यह जो चीटियां है यह मछलियां है, ये दूसरा जनम ले चुके हैं। अगर तुम इनको अभी रुकोगे तो फिर यह तीसरा जन्म लेगा अपना सजा भुगतने के लिए। “
एक छोटी सी कहानी इसका सार यह है कि " अगर हम अच्छा करेंगे, तो हमारे साथ अच्छा होता चला जाएगा। और अगर हम बुरा करेंगे, तो हमारे साथ बुरा होता चला जाएगा। याद रखिए आगे, पीछे, दाएं, और बाएं देखने की जरूरत नहीं है बल्कि ऊपर वाले को भी देखना जरूरी है, क्योंकि वह सब कुछ देखता है। 
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