सीखे खुद को बस में करना? गौतम बुद्ध की कहानी ||

3 months ago
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Gautam Buddha Inspirational Story: एक बार गौतम बुद्ध एक शहर में प्रवास कर रहे थे। उनके साथ कुछ शिष्य भी थे। एक दिन उनके शिष्य शहर में घूमने के लिए निकले। वे शहर में घूम ही रहे थे कि तभी शहर के कुछ लोगों ने उन्हें अपशब्द कहे। उनके बुरे शब्दों को सुनकर शिष्यों को बहुत बुरा लगा और वे वापस लौट गए। बुद्ध ने देखा कि शहर से लौट कर आए उनके सभी शिष्य बहुत क्रोध में दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने शिष्यों से पूछा, ‘‘क्या बात है, आप इतने तनाव में क्यों हैं?’’ 
तभी एक शिष्य क्रोध में बोला, ‘‘हमें यहां से तुरन्त चलना चाहिए। जब हम बाहर शहर में घूमने गए थे तो यहां के लोगों ने बिना वजह हमें बहुत बुरा-भला कहा।’’ जिस जगह हमारा सम्मान नहीं हो, वहां हमें नहीं रहना चाहिए।
बुद्ध ने कहा, ‘‘क्या ! किसी और जगह तुम अच्छे व्यवहार की अपेक्षा रखते हो?’’ दूसरे शिष्य ने कहा, ‘‘इस शहर से तो अच्छे लोग ही होंगे।’’
तब गौतम बुद्ध बोले, ‘‘किसी जगह को सिर्फ इसलिए छोड़ देना ठीक नहीं कि वहां के लोग बुरा व्यवहार करते हैं। हमें तो कुछ ऐसा करना चाहिए कि जिस स्थान पर भी जाएं, उस स्थान को तब तक नहीं छोड़ें, जब तक अपनी अच्छाइयों से वहां के लोगों को सुधार न दें। हम जिस भी स्थान पर जाएं, वहां के लोगों का कुछ न कुछ भला करके ही वापस लौटें।’’
बुद्ध ने कहा, ‘‘जिस प्रकार युद्ध में बढ़ता हुआ हाथी चारों तरफ के तीर सहते हुए भी आगे बढ़ता जाता है, ठीक उसी तरह उत्तम व्यक्ति भी दूसरों के अपशब्दों को सहते हुए अच्छे कार्य करता रहता है। खुद को वश में करने वाले प्राणी से उत्तम कोई और नहीं हो सकता।’’ बुद्ध की बात शिष्यों को अच्छी तरह से समझ में आ गई और उन्होंने वहां से जाने का इरादा त्याग दिया।

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