हद से ज्यादा अच्छा मत बनो-

4 months ago
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हद से ज्यादा अच्छा मत बनो- Budhhist Story On BEING TO MUCH NICE| Gautam Buddha Story
एक बुद्धिमान और भक्तिपूर्वक शिष्य ने गौतम बुद्ध से पूछा, "भगवान, हमें हमेशा स्नेही, मित्रवत, और सदभाव से व्यवहार करना चाहिए, पर क्या हमें कभी किसी के प्रति बहुत अधिक स्नेह दिखाना चाहिए?"

गौतम बुद्ध मुस्कुराए और एक कहानी सुनाने लगे।

एक समय की बात है, एक युवक था जो अत्यधिक स्नेही था। वह हर किसी के साथ अच्छा व्यवहार करता था, सभी की सहायता के लिए तत्पर रहता था। उसके द्वारा साथी और परिवारजन उसके अद्भुत स्वभाव की सराहना करते थे।

एक दिन, उसने एक साधु को अपने घर आमंत्रित किया। साधु ने उसके घर का आदर्श और भविष्य की चिंता करने का प्रयास किया। युवक ने साधु को खुश किया और उसे सभी सुविधाओं के साथ भोजन प्रदान किया।

कुछ समय बाद, युवक को एक बहुत बड़ा संकट आ गया। उसकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी और उसके पास अपने परिवार को भोजन तक प्रदान करने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। उसने साधु से मदद के लिए अनुरोध किया।

साधु ने उसकी मदद की, परंतु उसने उसे एक महान सिख दी। साधु ने कहा, "युवक, स्नेह करना अच्छा है, परंतु तुम्हें समझना चाहिए कि सभी को साथियों के रूप में नहीं देखा जा सकता। जीवन में सतत रूप से सभी की सेवा करने का अर्थ नहीं है कि तुम स्वयं की जरूरतों की परवाह नहीं करो। अधिक स्नेह और सेवा करने के चक्कर में तुम्हारा अपना स्वास्थ्य और सुख कोई महत्व नहीं रखता है।"

युवक ने समझ लिया कि अत्यधिक स्नेह भी कभी-कभी नुकसानदायक हो सकता है। उसने सीख लिया कि सही मात्रा में स्नेह और सेवा बनाए रखना जीवन के संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है।

इस घटना से, हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें स्नेही और उदार होने के साथ-साथ अपनी स्वस्थ्य और सुख की भी परवाह करनी चाहिए। अत्यधिक स्नेह भी अक्सर समस्याओं का कारण बन सकता है, इसलिए हमें समय-समय पर अपने स्नेह के प्रति समीक्षा करनी चाहिए।

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