एक साधु की कामवासना - Budhhist Story On S*xual THOUGHT | Gautam Buddha Story

1 year ago
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एक साधु की कामवासना - Budhhist Story On S*xual THOUGHT | Gautam Buddha Story
एक समय में, गौतम बुद्ध के शिष्यों में एक साधु था जो कामवासना के साथ लड़ रहा था। वह समय-समय पर अपने मन को नियंत्रित नहीं कर पाता था और विचारों में संलग्न हो जाता था।

एक दिन, वह साधु गौतम बुद्ध के पास गया और अपनी समस्या को साझा किया। उसने कहा, "गुरुदेव, मेरा मन नियंत्रित नहीं हो रहा है। मेरे विचार नियंत्रित नहीं हो रहे हैं और मैं कामवासना के संग्रहण में फंसा हुआ हूँ।"

गौतम बुद्ध ने उसे सामंजस्य के लिए ध्यान देने की सलाह दी। फिर वे उसे एक दूर्ग की ओर ले गए जो एक बड़ा गहरा गड्ढा था।

गौतम बुद्ध ने साधु से कहा, "जाओ, और उस गड्ढे के अंदर गिरो।"

साधु थोड़ी देर तक चिंता किया, फिर उसने धीरे-धीरे गड्ढे की ओर बढ़ना शुरू किया। धीरे-धीरे, वह गड्ढे में गिरने लगा।

जब वह गड्ढे में पहुंचा, तो वह देखा कि गड्ढे के अंदर एक सुन्दर साध्वी बैठी है। वह थोड़ी ही देर में उसके साथ बैठ गया।

कुछ समय बाद, गौतम बुद्ध ने उसे बुलाया और पूछा, "तुमने उस गड्ढे के अंदर क्या देखा?"

साधु ने उत्तर दिया, "मैंने एक सुंदर साध्वी को देखा जो वहां बैठी थी।"

गौतम बुद्ध ने कहा, "वह साध्वी कामवासना को दर्शाती है, जो हमें अपनी इच्छाओं में फंसा देती है। तुम्हें इसके बारे में ध्यान में रहना चाहिए कि हमें अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना चाहिए, न कि हमें उनमें फंसना चाहिए।"

इस अनुभव से साधु ने अपनी कामवासना को समझा और उसे नियंत्रित करने के लिए प्रयास किया। वह ध्यान और आत्म-निग्रह के माध्यम से अपनी इच्छाओं को संयमित करने का प्रयास करने लगा।

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