क़ुतुब मीनार क्या हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनी थी?

4 months ago
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क़ुतुब मीनार क्या हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनी थी?

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, आगरा के ताजमहल के बाद अब दिल्ली की क़ुतुब मीनार को लेकर भी विवाद छिड़ गया है. क़ुतुब मीनार के पास मंगलवार को हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने क़ुतुब मीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तंभ करने की मांग की.
प्रदर्शनकारी क़ुतुब मीनार पर बैनर और पोस्टर लेकर पहुंचे थे और हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए इकट्ठा हुए थे. हिंदू संगठनों का दावा है कि क़ुतुब मीनार का निर्माण 27 जैन और हिदू मंदिरों को तोड़कर किया गया है. पुलिस ने युनाइटेड हिंदू फ़्रंट और राष्ट्रवादी शिवसेना के सदस्यों को हिरासत में लिया है. एक अन्य संगठन महाकाल मानव सेवा के सदस्य भी प्रदर्शन करने पहुंचे थे.
मंगलवार को क़ुतुब मीनार के चारों तरफ़ भारी बैरिकेडिंग की गई थी ताकि प्रदर्शनकारी क़ुतुब मीनार के नज़दीक ना जा सकें. लेकिन, वहां जय श्रीराम के नारे लगने और भगवा झंडा लहराये जाने के बाद प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया.

क़ुतुब मीनार परिसर में क्या क्या है
क़ुतुब मीनार परिसर में प्राचीन मंदिरों का निर्माण करने और वहां पूजा करने देने की मांग पहले भी उठती रही है. मंदिर की बहाली के लिए अदालत में याचिका भी दायर की गई है. अब क़ुतुब मीनार का नाम बदलने की मांग भी की जा रही है. ऐसे में जानते हैं कि इस स्मारक का इतिहास क्या है.

दिल्ली के महरौली इलाक़े में क़ुतुब मीनार परिसर में मौजूद क़ुतुब मीनार और क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, भारत में मुस्लिम सुल्तानों द्वारा निर्मित शुरुआती इमारतों में से हैं. मीनार और उससे सटी क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के निर्माण में वहाँ मौजूद दर्जनों हिन्दू और जैन मंदिरों के स्तंभों और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था.
क़ुतुब मीनार के प्रवेश द्वार पर एक शिलालेख में लिखा भी है कि ये मस्जिद वहाँ बनाई गई है, जहाँ 27 हिंदू और जैन मंदिरों का मलबा था.
इस मस्जिद में सदियों पुराने मंदिरों का भी एक बड़ा हिस्सा शामिल है. देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और मंदिर की वास्तुकला अभी भी आंगन के चारों ओर के खंभों और दीवारों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है.
जाने-माने इतिहासकार प्रोफ़ेसर इरफ़ान हबीब ने बीबीसी से बातचीत में कहा था, “इसमें कोई शक़ नहीं है कि ये मंदिर का हिस्सा हैं. लेकिन ये जो मंदिर थे, ये वहीं थे या आस-पास कहीं थे, इस पर चर्चा होती रही है. ज़ाहिर सी बात है कि 25 या 27 मंदिर एक जगह तो नहीं रहे होंगे. इसलिए इन स्तंभों को इधर-उधर से एकत्र करके यहाँ लाया गया होगा.”

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