कारसेवकों का गुणगान और राम पत्रकारिता | Karsevaks and their Media Coverage #rammandir #karsevak #ayodhya #congress #bjp #modi #राममंदिर #अयोध्या #कारसे

5 months ago
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BJP and Sangh have given their full strength for the inauguration of Ram temple. Its own strength is no less, different types of organizations have been formed and in those organizations, important people from in-charge to ministers are running day and night, but this strength of BJP is bigger for other reasons also. The one who has such a huge army of Godi media can make any incident national and can take it to every home and if he wants, he can make any incident disappear from the public eye. Ram is coming, welcome him, but also keep an eye on whose use Ram is?
राम मंदिर और हिन्दी के अख़बारों की राम पत्रकारिता।आज के वीडियो में हम इसके बारे में बात करने जा रहे हैं। राम पत्रकारिता क्या है? क्या यह पहले से चली आ रही पत्रकारिता का ही कोई रुप है या उस पर एक नया लेवल भर है? मेरे हिसाब से इसमें काफी कुछ नया भी है और पुरानी परिपाटी का अंश भी है। क्या राम पत्रकारिता पत्रकारिता के क्षेत्र में कोई नया आदर्श या मर्यादा कायम कर रही है? नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि आज के भारत में अब यह संभव नही है। ख़ासकर मुख्यधारा के किसी अखबार या चैनल के लिए। इसे यूं समझिए। जब भारत की पत्रकारिता में पेशे की नैतिकता और मर्यादा ही नहीं बची है तब राम पत्रकारिता में कैसे बची रह जाएगी? इस समय ही यह देखने का विषय है कि हिन्दी के अखबार राम मंदिर के निर्माण से जुड़ी किस तरह से खबरें छाप रहे हैं, छापने के लिए किस किस तरह की खबरों का उत्पादन हो रहा है। हिन्दी अखबारों में मंदिर कवरेज के बहाने बीजेपी के राजनीतिक प्लेटफार्म को जिस तरह से मज़बूत बनाने का काम किया है, उसके लिए इनके संपादकों को राम ध्वज तो दिया ही जाना चाहिए। राम की मर्यादा के नाम पर मोदी की राजनीतिक मर्यादा गढ़ने वाले ये अखबार राम राज्य नहीं मोदी राज की स्थापना कर रहे हैं।
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