Bhagavad Gita Sloka

1 year ago
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कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अर्थात्:
"तुम्हारा कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है, परन्तु फलों की इच्छा कभी मत करो। अपने कर्मों के फलों का कारण मत मानो, और कर्म में आसक्ति मत करो॥"

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