Ramayan Chaupai {मंगल भवन अमंगल हारी - रामायण चौपाई | सम्पूर्ण रामायण}

1 year ago
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जय जय जय श्री राम श्री राम
हो, मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी.
राम सिया राम सिया राम जय जय राम - २
...
हो, होइ है वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा
राम सिया राम सिया राम जय जय राम - २
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारीहो,
राम सिया राम सिया राम जय जय राम - २
हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
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हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी
...
हो, रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
...
हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहु
विधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ---------जय सिया राम

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