कुशी अमावस्या

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#कुशी_अमावस्या!

दिनांक १४-०९-२०२३ भादव कृष्ण अमावस्या,कुशी अमावस्या अछि जे कि भोर मे ४:४८ (पूर्वाह्न) सऽ शुरू भऽ जाएत, कुश भोरे- भोर उपाड़ि लेबाक चाही, ओना अपने भरि दिन मे कखनों उपाड़ि सकैत छी, (प्रवासी हेतु)।
कुशी अमावस्या सऽ एक दिन पहिने जाहि स्थान सऽ कुश उपाड़क अछि ओतए जा कुश केँ निमंत्रण देल जाइत छैक,कि हे कुश अहाँकेँ हम अपना घरपर आबक लेल आमंत्रित करैत छी। कुश उपारैत काल एहि बातक विशेष ध्यान राखक चाही कि कुशक मूल सुतीक्ष्ण आ सात पत्ती बला होए , कुशक अग्र भाग कटल नहि होए, स्थान साफ सुथरा होए,कुशक जड़ि मे तीन'टा गिरह' होए आ' ओहि सऽ उपरका भाग उज्जर होएबाक चाही।अथर्ववेद'क कथन छैक जे कुश तामस केँ शान्त करैत छैक सङहि सङ अशुभता केँ दूर करैत छैक, घरमे कुश रखला सऽ केतु ग्रह शान्त रहैत छैक। चूंकि कुश कुचालक गुणवत्ता बला होइत छैक तैं पूजा पाठ मे कुश'क आसनी केँ श्रेष्ठ मानल जाइत छैक, एवम् सूर्य किंवा चन्द्र ग्रहण मे एकर उपयोग कुचालक होएबाक कारणेँ पानि, खाए पीबए बला वस्तु पर राखि सुरक्षित कऽ देल जाइत छैक।
शास्त्रक अनुसारें कुश दस तरहक होइत छैक
१.कुशा
२.काशा
३.यवा
४.दूर्वा
५.उशीराच्छ
६.सकुन्दका
७.गोधूमा
८.ब्राह्मयो
९.मौन्जा
१०. सबल्वजा
उपरोक्त सभ तरहक कुशक ज्ञान अपने लोकनि केँ कोनो मैथिल विद्वान एवम् गाम घरक बुढ बुढानुष सऽ भेटि जाएत।

कुश उखाड़बा'क प्रक्रिया :-
कुश उखाड़बाक लेल सूर्योदय
केर समय सर्वश्रेष्ठ मानल गेल अछि। नित्य क्रिया सऽ निवृत्त भऽ अमावस्या'क दिन दर्भस्थल मे पूब या उत्तर मुह बैसथि फेर कुश उखाड़थि
पूर्व प्रार्थना करथि-
#कुशोत्पाटन_मंत्र :-
कुशाग्रे वस्ते रुद्रः कुशमध्ये
केशवः।
कुशमूले वसेद् ब्रह्मा कुशान्मे देहि मेदिनी।
कुशोऽसिकुशपुत्रोऽसि ब्रह्मणा निर्मिता पुरा ।
देवपितृ हितार्थाय
कुशमुत्पाट्याम्यहम्।
ऊँ हूँ फट् मंत्र कऽ उच्चारण
करैत कुश दाहिना हाथ सऽ
उखाड़क चाही।

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