श्रीरामचरितमानस - सुन्दरकाण्ड चौपाईया With Lyrics Part-1 || Sundarkand By Rajan Ji Maharaj

1 year ago
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Rajan Ji Maharaj Sundarkand
ShriRamCharitManas
Chaupaiya With Lyrics

जामवंत के बचन सुहाए।
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।।
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई।
सहि दुख कंद मूल फल खाई।।
मसक समान रूप कपि धरी।
लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी।।
नाम लंकिनी एक निसिचरी।
सो कह चलेसि मोहि निंदरी।।
जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा।
मोर अहार जहाँ लगि चोरा।।
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
हृदयँ राखि कौसलपुर राजा।।
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
गरुड़ सुमेरु रेनू सम ताही।
राम कृपा करि चितवा जाही।।
अति लघु रूप धरेउ हनुमाना।
पैठा नगर सुमिरि भगवाना।।
मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा।
देखे जहँ तहँ अगनित जोधा।।
गयउ दसानन मंदिर माहीं।
अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं।।
सयन किए देखा कपि तेही।
मंदिर महुँ न दीखि बैदेही।।
भवन एक पुनि दीख सुहावा।
हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा।।
राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा।
हृदयँ हरष कपि सज्जन चीन्हा॥

Official RamKatha Bhajan
Shri Ram Charit Manas
Rajan Ji Maharaj Bhajan
Rajan Ji Maharaj Ram Katha Bhajan
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Shri Ram Charit Manas
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Disclaimer:- No Copyright Infringement intended. Made for Worship, Only.
Thanks.
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