Jivan ka Satya

2 years ago
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यह सत्य है कि जब हम धर्म के मार्ग से विरत होते है तभी गलत मार्ग पर जाते है। धर्म हमें जीवन की शाश्वतता का आभास कराता है, जिससे हम अपने विवेक के आधार पर जीवन की सही राह पकड़ लेते हैं। गीता में भी कहा गया है कि कर्म पर हमारा अधिकार है, फल पर नहीं। फल की आशा से हम कठिन कार्य सरलता से कर लेते है, यही जीवन का अर्थ है। जीवन के साथ ही कर्म जुड़ा है। कर्म विहीन जीवन का कोई अर्थ नहीं। ऐसा भी नहीं कि भाग्य पर ही आश्रित रहा जाए और पुरुषार्थ न किया जाए। जिन्हें अपने कर्म पर विश्वास है उनके जीवन का सिद्धांत होता है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है।

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