Premium Only Content
Pravachan Shree Vishwamitra ji Maharaj
*महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक बधाई मंगल कामनाएं एवं शुभकामनाएं।*
परम पूज्य डॉ श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से।
धुन :
*ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,*
*ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय ।।*
राम नाम के महानतम उपासक । उनके खजाने में कैसे कमी हो सकती है, कभी नहीं। तीन लोक के दाता होने के बावजूद भी बांटने वाला बेचारा कहीं वीराने में बसता है। कितने महान गुण हैं एक राम नाम के उपासक में, इनका जीवन साधक जनों हम सबके लिए अनुकरणीय जीवन ।
महाशिवरात्रि के इस पुण्य पर्व पर भक्तजनों, देवियों और बंधुओं आप सब को बहुत बहुत बधाई देता हूं, बहुत बहुत बधाई, असंख्य बार शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाएं । आज का यह महामांगलिक दिवस सब के लिए शुभ मंगल एवं कल्याणकारी हो, शुभ मंगल एवं कल्याणकारी हो, शुभ मंगल एवं कल्याणकारी हो ।
संसार का सबसे बड़ा आदमी, उन्हें भक्तजनों परमात्मा कहा जाता है ।
क्योंकि सबसे बड़ा है, तो फिर एक ही होगा। अनेक नहीं हो सकते । हां उनके नाम अनेक हो सकते हैं, उनके रूप अनेक हो सकते हैं। पर वह एक ।
परमात्मा के कृपा स्वरूप को भगवान राम कहा जाता है,
प्रेम स्वरूप को भगवान श्री कृष्ण कहा जाता है,
उनके वैराग्य स्वरूप को भगवान शिव कहा जाता है,
उनके वात्सल्य स्वरूप को मातेश्वरी मां जगदंबे कहा जाता है,
उनके सृष्टि रचने वाले स्वरूप को ब्रह्मा कहा जाता है,
पालन करने वाले स्वरूप को भगवान विष्णु कहा जाता है ।
पर वह एक । कभी ना भूलिएगा इस बात को । उनके रूप अनेक हो सकते हैं, उनके नाम अनेक हो सकते हैं, मालिक है, मालिकों का मालिक है, जो मर्जी बने, जो मर्जी अपने आप को कहलाए । कभी बुद्धि हमारी भ्रमित नहीं होनी चाहिए की भगवान अनेक हैं, नहीं । वह एक है । उनके नाम एवं रूप अनेक हो सकते हैं ।
आज साधक जनों रात्रि को अंधकार का प्रतीक माना जाता है । अज्ञानता का प्रतीक माना जाता है । आज की रात्रि ऐसी नहीं है। साल भर में चार रात्रियां ऐसी आती हैं, जिनको मांगलिक रात्रि माना जाता है, कल्याणकारी रात्रि माना जाता है ।
मान्यता है; आज रात्रि जो जप, ध्यान, स्वाध्याय, पूजा पाठ किया जाता है, उसका फल अनंत गुना मिलता है, जिन्हें चाहिए । जिन्हें नहीं चाहिए फल उन्हें क्या फर्क पड़ता है ।
निष्काम भाव से भजन पाठ करने वाले को परमात्मा अपने हिसाब से देता है ।
फल चाहने वाले को, फल चाहने वाले के अनुसार देता है । हम सब के लिए बेहतर तो यही है कि हम ना चाहने वाले बने । अनंत गुना फल मिलता है, आज रात्रि जो भजन पाठ करता है, तीन रात्रियां और है ।
आज की रात्रि को "अहो रात्रि" कहा जाता
है । कहते हैं साधक जनों;
एकदा सृष्टा ब्रह्मा जी के बीच और पालनकर्ता भगवान विष्णु के बीच विवाद का विषय; की बड़ा कौन है ?
बड़ी जटिल समस्या किस को बड़ा सिद्ध किया जाए । कहते हैं एक ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ । जिसका एक छोर आकाश को छूता हुआ दिखाई देता था और दूसरा छोर पाताल में । भगवान विष्णु उस छोर की थाह देखने वाराह स्वरूप धारण करके तो चले जाते हैं पाताल में । ब्रह्माजी उड़ान भरते हैं और चले जाते हैं आकाश की और । कई हजार वर्ष बीत गए । कथा इस प्रकार की है, लेकिन और छोर ना ढूंढ पाए ।
ओह, अहो ! इतना बड़ा ज्योतिर्लिंग जिसका ना इधर का छोर, ऊपर का छोर, ना उधर का छोर पता है । विस्मयकारी शब्द अहो !
इस रात्रि का नाम पड़ गया “अहो रात्रि” । आज के दिन ही वह ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ था ।
हम सब के लिए साधक जनों भजन पाठ का दिन, जो उपवास रखना चाहे रखें । लेकिन मैं तो छोटी बुद्धि का व्यक्ति उपवास को यही मानता हूं, परमेश्वर के समीप बैठना, उपवासव करना, वास करना । आज की रात्रि क्या रात्रि है, भोगो के पास नहीं भटकने की रात्रि, परमेश्वर के पास बैठने की रात्रि । मंदिर में बैठिए, अपने घर में बैठिए, वह तो हर जगह विराजमान है । जैसे आप चाहे, जहां आप चाहे, पर परमेश्वर के पास बैठने की रात्रि ।
आज श्री रामायण जी का पाठ भी यहां आरंभ होता है । इस बात के लिए भी आप सब को बहुत-बहुत बधाई देता हूं । आइए देखें साधक जनों, रामायण जी में और भगवान शिव में आपस में क्या मेलजोल है । आज जिस रामायण जी का आपने पाठ किया है, श्रीमद् वाल्मीकि रामायण;
स्वामी जी ने नाम रखा है “रामायणसार”। वाल्मीकि रामायण से जो उन्हें उचित भाग लगे वह उन्होंने इस रामायण सार में सम्मिलित किए हुए हैं, सारी रामायण नहीं है। यह कुछ भाग उन्होंने आवश्यक नहीं समझे तो वह छोड़ दिए । तुलसी जी ने जो रचना रची उसे वह रामायण नहीं कहते “रामचरितमानस” कहते हैं । आप उनकी कृतियां देख कर देखो तो आपको पता लगेगा, कि उन्होंने रामायण शब्द नहीं प्रयोग किया हुआ लिखा है “श्री रामचरितमानस”।
मान्यता इस प्रकार की है राम कथा के
प्रथम रचयिता “भगवान शिव”
प्रथम श्रोता “मां पार्वती”
रचनाकार कौन हुए राम कथा के ?
“भगवान शिव” ।
बहुत देर तक रचना रच कर तो इसको अपने मन में संभाल कर रखा तो तुलसीदास जी ने उसका नाम रखा “रामचरितमानस” । राम जी का वह चरित्र जो उन्होंने अपने मानस में दबाकर रखा इतने वर्षों तक तो इसका नाम हुआ रामचरितमानस । तुलसी उसी रामचरितमानस का वर्णन करते हैं ।
राम नाम के महान उपासक “भगवान शिव” महानतम उपासक ।
इतनी प्रीति राम नाम से -
अक्षर “राकार” का कोई “रावण” कहने जा रहा है या “रात्रि” इन्होंने पूरा शब्द होने ही नहीं दिया । इनको “राकार” अक्षर बोलते ही राम सुनाई देता है । ऐसे कान, इनके राम नाम की उपासना के बाद हो गए हुए हैं ।
कहते हैं साधक जनों समुद्र मंथन हुआ ।
वेद रूपी समुद्र का मंथन हुआ तो, इसमें से 100 करोड़ श्लोक निकले । तीनों लोकों के प्रतिनिधि अपना-अपना भाग लेने के लिए आ गए है ।
तीनों को भगवान शिव ने 33 - 33 करोड़ श्लोक बांट दिए । एक करोड़ बाकी बचा ।
33-33 लाख और बांट दिए एक लाख
बचा ।
33-33 हजार और बांट दिए एक हजार बचा ।
333-333 श्लोक और बांट दिए एक श्लोक बचा ।
कहते हैं एक श्लोक के 32 अक्षर; वेदों के जो श्लोक होंगे, होंगे मुझे पता नहीं 32 अक्षर उसमें से भी 10-10 तीनों को बांट दिए ।
दो अक्षर बाकी बचे “राकार और मकार” । भगवान शिव ने उन्हें तत्काल पकड़ कर तो मुख में रख लिया । यह मैं किसी को नहीं दूंगा । इनसे “राम” शब्द बनता है ऐसा प्यार राम नाम से ।
मां पार्वती को स्कंदपुराण में उपदेश देते हैं, राम नाम की महिमा समझाते हैं ।
मां पार्वती को देवेश्वरी के नाम से पुकारते हैं। अरी देवेश्वरी ! तू सब कुछ छोड़ राम नाम जपा कर । महामंत्र है यह, तारक मंत्र है यह, पारक मंत्र है । राम-राम जपने वाले को यम की यातनाएं नहीं भुगतनी पड़ती, राम-राम जपने वाला पापी पातकी नहीं रहता, पुण्य आत्मा बन जाता है । उसके सारे के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, दाता बन जाता है वह, देने योग्य बन जाता है ।
पार्वती सर्व संकट हारी है “राम नाम”,
पाप पुंज हारी है “राम नाम” । इसका जाप किया कर तू, विष्णु नाम, सहस्त्रनाम पढ़ती फिरती है, छोड़ उसको । एक बार अपने मुख से राम बोल तेरा कल्याण हो जाएगा ।
जिस दिन से साधक जनों मां पार्वती को ऐसा विश्वास हो गया, उसी दिन भगवान शिव ने उन्हें अपने शरीर में धारण कर लिया। भगवान शिव का एक स्वरुप है “अर्धनारीश्वर” आधी नारी, आधा पुरुष । उसी दिन से तू मेरी अब अभिन्न अंग बन गई है । महान उपासक, साधक जनों, हर वक्त समाधिष्ट रहते हैं, अर्धमिलित आंखें, आँखें बंद करने से नींद आ जाती है । भगवान शिव स्वयं भी जागते हैं, और औरों को भी जगाते हैं । स्वयं सो गए तो औरों को कौन जगाएगा। इस भाव से महान उपासक शिव, अपनी आंखों को कैसे रखते हैं, मुझे नींद ना कहीं, झपकी ना कहीं आ जाए । संसार उथल-पुथल हो जाएगा । हमेशा जागते रहने वाले समाधिष्ट भगवान शिव ।
प्रभु आज के दिन, किसी भी हैसियत से समझिएगा, हम सब भी आप जैसे बनना चाहते हैं । कृपा करो । आज बहुत बड़ा दिन है । हम बहुत छोटे हैं । आप बहुत बड़े । अपने जैसा हमें बना दो,
अपने जैसा उपासक,
अपने जैसा राम नाम का उपासक बना लो हमें भगवान शिव । आज यही हम सब आपके भक्त, राम नाम के भक्त, राम जी के भक्त, आप से वरदान मांगते हैं ।
हे दयालु, कृपालु-
हम पर दया करो, दया करो । आज हमें वरदान जरूर देना, जो हमने आपसे अर्ज किया है ।
पुन: आप सबको बधाई देता हूं शुभकामनाएं मंगलकामनाएं । धन्यवाद ।
-
1:46:35
Badlands Media
1 day agoDevolution Power Hour Ep. 401
219K31 -
4:44:53
MattMorseTV
6 hours ago $172.27 earned🔴Antifa action INBOUND.🔴
193K61 -
2:11:24
Tundra Tactical
9 hours ago $19.62 earnedTundra Nation Live - Tundra's Guns?? We Finally See What Tundra Shoots
24.9K3 -
DVR
BlackDiamondGunsandGear
8 hours agoAFTER HOURS ARMORY / Whiskey & Windage
14.7K1 -
23:56
marcushouse
17 hours ago $9.23 earnedStarship Began the Demolition!? 🔥
27.3K5 -
17:59
JohnXSantos
1 day ago $1.53 earnedI Gave AI 14 Days to Build NEW $5K/MONTH Clothing Brand
17.4K3 -
DVR
DLDAfterDark
7 hours ago $3.02 earnedGun Talk - Whiskey & Windage - The "Long Range" Jouney - After Hours Armory
17.6K1 -
9:37
Film Threat
9 hours agoSHELBY OAKS REVIEW | Film Threat
11.2K6 -
35:40
The Mel K Show
4 hours agoMel K & Dr. Mary Talley Bowden MD | Heroes of the Plandemic: Doing What is Right No Matter the Cost | 10-25-25
33.2K13 -
3:06:20
FreshandFit
9 hours agoNetworking At Complex Con With DJ Akademiks
204K23