Premium Only Content
Pravachan Shree Vishwamitra ji Maharaj
परम पूज्य डॉक्टर श्री विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1034))
*श्री भक्ति प्रकाश भाग 551(५५१)*
*नाना उक्तिया भाग-२*
*कटु वाणी पर चर्चा*
“घाव तीर तलवार के पूर आते तत्काल”
तीर से, तलवार से कोई चोट लगती है,
जख्म होता है, समय पर भर जाता है ।
पीड़ा इत्यादि भी नहीं होती । पपड़ी आ जाती है । चमड़ी आ जाती है । उसके ऊपर चिन्ह तक नहीं रहता । वाणी का जो तीर लगता है, उसका घाव स्वामी जी महाराज कहते हैं, इतना गहरा एवं इतना गंभीर होता है, ना ही भरता है, ना ही उसकी पीड़ा ही खत्म होती है । सब काल सदा, उसकी पीड़ा रहती है ।
कल आप जी से अर्ज की जा रही थी,
सत्य भी कहना है, तो बहुत समझदारी से कहना चाहिए । बहुत संभलकर कहना चाहिए । मिठास भरकर कहना चाहिए ।
यह बात है तो सत्य ही, पिता, डैडी, हमारी मम्मी के Husband है । लेकिन ऐसा कहता तो कोई नहीं, मेरी मम्मी के Husband ।
यह पिता कहने का ढंग नहीं, गलत नहीं है। बिल्कुल ठीक है मम्मी का जो Husband होता है, उसे ही पिता कहा जाता है, डैडी कहा जाता है, लेकिन ऐसे कोई पुकारता नहीं । सत्य भी कहो तो बहुत सोच समझ कर कहा । मीठा डालकर उसमें कहिएगा।
नाम, साधक जनों राम नाम, जो स्वामी जी महाराज की कृपा से, परमेश्वर कृपा से, जो हमें मिला है, हमारे हृदय को प्रेम से परिपूरित कर देता है, और जिव्हा को माधुर्य से ।
दो चीजें, दो देन, जो नाम की हैं, कभी भुलाने वाली ही नहीं । यदि ऐसा अभी तक नहीं हुआ, साधक जनों, अपने अंदर खोट देखने चाहिए । कुछ और उपाय करने चाहिए । नाम की साधना और बढ़ानी चाहिए । ताकि जो चीज कहीं गई है, कि नाम से हमें मिलती है, वह अभी तक मिली नहीं ।
जिव्हा की कटुता गई नहीं,
कठोरता गई नहीं,
अभिमानी शब्द बोलने में बिल्कुल परहेज नहीं करते,
ईर्ष्या भरे बाण मारने में बिल्कुल कभी इसको लिहाज, शर्म नहीं है ।
स्वाद से साधक जनों इसका बड़ा गहरा संबंध है । जिस जिव्हा से अभी तक स्वाद नहीं मरा, वह जिव्हा कभी मीठा भी नहीं बोल सकेगी । बहुत गहरा संबंध है ।
एक ही इंद्री ऐसी है, जिसके पास परमेश्वर ने दो काम दिए हुए हैं ।
स्वाद लेने का, एवं बोलने का ।
रस इंद्री भी है यह । मानो कर्म इंद्री भी है। ज्ञानेंद्री भी है । ऐसा और किसी इंद्री में नहीं है । बहुत महत्वपूर्ण इंद्री यह जिव्हा । दोनों पर अंकुश रखने की जरूरत, दोनों पर निगरानी रखने की जरूरत । कहीं स्वाद से चस्का तो नहीं ले रही । बहुत सचेत रहिएगा इस जिव्हा के बारे में । जिसकी यह इंद्री
संयमी हो जाती है, साधक जनो समझ लीजिएगा वह सर्वेंद्रीय संयमी हो जाएगा। बाकी सब इंद्रियां इसी के अधीन लगती है, ऐसा संत महात्मा कहते हैं ।
यह एक जिव्हा जिसके नियंत्रण में आ जाती है, बाकी जितनी इंद्रियां है, वह सब की सब नियंत्रण में हो जाती हैं, इसके नियंत्रित होने पर ।
“घाव तीर तलवार के पूर आते हैं तत्काल” एक दृष्टांत के माध्यम से देखिएगा देवियों। कहानी सत्य है कि नहीं, पता नहीं ।
लेकिन मर्म सत्य है । एक ब्राह्मण एवं एक शेर की मित्रता हो गई । अनहोनी सी बात है। पर कहानी इसी प्रकार की है । हो भी सकती है । कोई बड़ी बात नहीं है । हर शेर खाने वाला ही नहीं होता । हर एक को खाने वाला नहीं होता । उनके अंदर भी हृदय हैं । भले ही दया का भाव नहीं है । वह मनुष्य में ही होता है । उनके अंदर, पशुओं के अंदर नहीं है । लेकिन मित्रता निभाते हैं, इसमें कोई शक नहीं । कोई इन पर उपकार करता है, तो शेर भी उस उपकार को भूलता नहीं है ।
एक दफा कहते हैं, कहानी थोड़ी बदल गई, एक दफा कहते हैं, किसी शेर के मुख में हड्डी फंसी हुई थी । हड्डी फसी हुई थी तो, मुख बंद नहीं हो रहा । मानो जिएगा कैसे ?
शेर हाफ रहा है । सारे के सारे शेर मांसाहारी हैं । शाकाहारी नहीं है कोई भी । सब मांस खाने वाले हैं । पशु का मिले तो पशु का, इंसान का मिले तो बात ही क्या है । हड्डी फंसी हुई है, मुख जबड़ा बंद नहीं हो रहा। निकले कैसे ? विचर रहा है, बेचारा बेचैन ।
एक संत ने देखा । सोचा विश्वसनीय पशु तो नहीं है । लेकिन इस वक्त पीड़ाग्रस्त है । किसी ना किसी ढंग से इसकी पीड़ा दूर करनी चाहिए । हो सकता है यह पीड़ा, पीड़ा ही ना हो, मानो जानलेवा हो । खत्म हो जाएगा यह ।
मेरा क्या जाता है, मरना ही है। आज नहीं कल । परमेश्वर ने इस ढंग से मरना लिखा है, तो डरना क्या । अतएव हिम्मत करके उसके मुंह में हाथ डाल दिया । हड्डी निकाल दी । शेर की जान में जान आई । मानो सिर झुका कर तो वापस लौट गया है । मित्रता का भाव भीतर याद रहा ।
कहानी इस प्रकार की है कि, संत को किसी कारणवश कोई अपराध नहीं, कुछ नहीं, राजा ने पकड़ लिया । कहा इसे वैसे नहीं मारूंगा । किसी शेर के आगे डाल दूंगा । अपने आप मर जाएगा । संयोग की बात कहिएगा, कैसे भी कहिएगा, वही शेर जिसकी जान इस संत ने बचाई थी,
उसी शेर से सामना हुआ । उसी पिंजरे में पकड़ लिया, उसी शेर के पिंजरे में डाला ।
शेर ने सूंघा । इसे चरणों में प्रणाम किया, प्यार किया, खाने से इंकार कर दिया ।
उनके अंदर भी हृदय हैं प्रेम को । प्रेम एक ऐसी भाषा है, देवियों सज्जनों, जिसे हर कोई पहचानता है । इंसान ही कभी-कभी मूढ़ता करता है, लेकिन प्रेम को हर कोई पहचानता है ।
-
LIVE
FreshandFit
5 hours agoAfter Hours w/ Charleston White & Girls
17,679 watching -
Badlands Media
10 hours agoBaseless Conspiracies Ep. 156
57K21 -
2:04:29
Inverted World Live
5 hours ago700 Scientists and Faith Leaders Warn About Super-Intelligent AI, "Time is Running Out" | Ep. 130
48.4K4 -
2:50:47
TimcastIRL
4 hours agoFOOD STAMPS OVER, Ending Nov 1, Food RIOTS May Spark Trump INSURRECTION ACT | Timcast IRL
196K88 -
2:18:46
Tucker Carlson
4 hours agoTucker Carlson Interviews Nick Fuentes
60.3K305 -
LIVE
Drew Hernandez
14 hours agoCANDACE OWENS CALLS CHARLIE KIRK STAFF INTO QUESTION?
1,230 watching -
47:03
Barry Cunningham
6 hours agoPRESIDENT TRUMP MEETS WITH THE PRIME MINISTER OF JAPAN!! AND MORE NEWS!
30.8K27 -
1:18:29
Flyover Conservatives
23 hours agoThe Dollar Devaluation Playbook: Gold, Bitcoin… and the “Genius Act” - Andy Schectman | FOC Show
20.9K3 -
LIVE
SpartakusLIVE
6 hours agoWZ Tonight || Battlefield 6 BATTLE ROYALE Tomorrow!
283 watching -
megimu32
4 hours agoON THE SUBJECT: Halloween Nostalgia! LET’S GET SPOOKY! 👻
21.1K1