कर्म और कर्तव्य | deviating from duty | इच्छा का फल कैसा मिलता है | how to get wish

1 year ago
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कर्म और कर्तव्य धार्मिक एवं नैतिक अवधारणाओं के महत्वपूर्ण पहलू हैं। इन दोनों शब्दों का मतलब अलग-अलग संस्कृति और दर्शनों में थोड़ा-बहुत भिन्न हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से इन्हे निम्नलिखित तरीके से परिभाषित किया जा सकता है:

कर्म: कर्म संस्कृति और धर्मशास्त्र में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह शब्द क्रिया, कार्य या कर्म का अर्थ देता है। कर्म धार्मिक आचरण, यज्ञ, सेवा, योग्यता, कर्तव्यानुसार कार्य करने का आदर्श और सामर्थ्य को दर्शाता है। कर्म के द्वारा व्यक्ति अपने धर्मिक और मानवीय कर्तव्यों को पूरा करता है और अपने आप को समर्पित करता है।

कर्तव्य: कर्तव्य शब्द भी संस्कृति और धर्मशास्त्र में प्रयोग होने वाला महत्वपूर्ण शब्द है। यह धार्मिक या नैतिक कर्तव्य की प्रतिज्ञा और अपने योग्यतानुसार कर्तव्यों का पालन करने का अर्थ देता है।
Deviation from duty refers to the act of not fulfilling or neglecting one's responsibilities or obligations. It occurs when someone fails to perform the actions or tasks that are expected of them based on their role, position, or moral obligations. Deviating from duty can have various consequences, including ethical dilemmas, compromised trust, legal repercussions, and negative impacts on individuals or society as a whole. It is generally considered undesirable and goes against the principles of integrity, accountability, and fulfilling one's obligations.

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